Chandrayaan-3: भारत का मून मिशन चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) फिलहाल स्लीप मोड पर है। चांद पर अंधेरा होने के चलते इसे स्लीप मोड पर रखा गया है। इसी बीच विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर से मिले डेटा पर ISRO वैज्ञानिकों का अध्ययन जारी है। बीते दिनों ISRO ने बताया था की चांद पर कुछ रहस्यमयी झटके महसूस किए गए थे। जिन्हें शुरूआती तौर पर भूकंप के झटके कहा गया था, लेकिन अब वैज्ञानिकों ने इस पर नया खुलासा किया है।
चांद पर इसलिए महसूस हुए थे झटके
वैज्ञानिकों ने कहना है कि चंद्रमा एक शांत जगह नहीं है और अत्यधिक तापमान भिन्नता के कारण चंद्रमा की सतह नियमित रूप से “थर्मल मूनक्वेक” का अनुभव करती है, जिससे कंपन महसूस होती है। लेकिन, इसे भूकंप नहीं कहा जा सकता। इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, जर्नल ऑफ जियोफिजिकल रिसर्च में प्रकाशित हुई एक रिसर्च रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है।
भारी उतार-चढ़ाव से गुजरता है चांद का वातावरण
रिपोर्ट में कहा गया है कि चंद्रमा का वातावरण अपने तापमान को नियंत्रित करने के लिए दिन के दौरान 120 डिग्री सेल्सियस से रात में -130 डिग्री सेल्सियस तक भारी उतार-चढ़ाव से गुजरता है। इससे चंद्रमा की सतह का विस्तार और संकुचन होता है, जिससे मामूली कंपन पैदा होती है। इन कंपनों को थर्मल मूनक्वेक के रूप में देखा जाता है।
अपोलो 17 मून मिशन के डेरा पर हुआ अध्ययन
रिपोर्ट के मुताबिक, इस अध्ययन के लिए डेटा 1970 के दशक में अपोलो 17 मिशन द्वारा चंद्रमा पर लगाए गए सिस्मोमीटर से प्राप्त किया गया था। डेटा, जो काफी हद तक अछूता रह गया था, मशीन लर्निंग जैसी आधुनिक तकनीकों का उपयोग करके पुनः विश्लेषण किया गया। अध्ययन में पाया गया कि थर्मल मूनक्वेक हर दोपहर उल्लेखनीय नियमितता के साथ आते हैं क्योंकि सूर्य आकाश में अपनी चरम स्थिति छोड़ देता है और चंद्र सतह ठंडी होने लगती है। हालांकि, अध्ययन में सुबह के समय अतिरिक्त भूकंपीय गतिविधि का भी पता चला, जो शाम की भूकंपीय गतिविधि से भिन्न थी।
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