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Gaganyaan-1 की सीढ़ी बनेगा चंद्रयान-3, भारत के पहले मानवमिशन को सफल बनाने की तैयारियां शुरू

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Chandrayaan 3 Launch
Chandrayaan 3 Launch

Gaganyaan-1: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने शुक्रवार को चंद्रयान-3 का सफल प्रक्षेपण किया। इस सफल प्रक्षेपण को गगनयान-1 के लिए एक बड़ी सफलता के रूप में देखा जा रहा है। इसके पीछे वजह है वह रॉकेट जिससे चंद्रयान-3 को लॉन्च किया गया। चंद्रयान-3 मिशन में एलवीएम3-एम4 रॉकेट का यूज किया गया। यह रॉकेट अपनी श्रेणी में सबसे बड़ा और भारी है। यही वजह है कि वैज्ञानिक इस रॉकेट को ‘फैट बॉय’ या ‘बाहुबली’ भी कहते हैं। भारत के पहले मानव मिशन के लिए उसी रॉकेट का एक संशोधित संस्करण -LVM-3 का यूज किया जाएगा।

एक बार फिर साबित की विश्वसनीयता

प्रक्षेपण के मिशन निदेशक एस मोहन कुमार ने कहा, “एलवीएम-3 ने चंद्रयान-3 को सटीक कक्षा में स्थापित कर दिया है। इससे एक बार फिर यह साबित हो गया है कि यह इसरो का सबसे विश्वसनीय भारी-लिफ्ट वाहन है। उन्होंने कहा कि रॉकेट में कई प्रणालियों का उपयोग किया गया है जिन्हें मानव-रेटेड किया जा रहा है। इसका मतलब है कि इसे मानवों को ले जाने की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए विश्वसनीयता बढ़ाने के रूप में देखा जा रहा है।

अंतरिक्ष यात्रियों को लेकर जाएगा LVM3

चंद्रयान-3 के मिशन निदेशक एस. मोहन कुमार ने कहा कि इसमें निरंतर सुधार किया गया है। इसका उपयोग भारत के गगनयान मिशन के लिए किया जाएगा। इसमें देश के अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष में भेजा जाना है। उन्होंने कहा कि शुक्रवार के लॉन्च के लिए, हमने मानव-रेटेड ठोस स्ट्रैप-ऑन मोटर्स का यूज किया। L110 विकास इंजन भी मानव-रेटेड है। टीओआई ने एलवीएम-3 लॉन्च पर मानव-रेटेड सिस्टम का उपयोग करने की इसरो की योजना के बारे में रिपोर्ट दी थी। इसकी वजह थी कि उसकी क्षमता का फिर से पता लगाया जा सके।

गगनयान प्रक्षेपण यान की रेटिंग लगभग पूरी

इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने कहा कि यह सभी रॉकेटों को अधिक कुशल और विश्वसनीय बनाने का हिस्सा है। उन्होंने कहा कि सभी मानव-रेटेड एलिमेंट अब गैर-मानव-रेटेड LVM-3 मिशनों पर भी उड़ान भरना शुरू कर देंगे। इससे पहले उन्होंने बताया था कि पिछले मिशन में मानव-रेटेड S200 थे।

अगले मिशन में, ऐसे और तत्व जोड़े जाएंगे। इसरो चेयरमैन ने कहा कि गगनयान प्रक्षेपण यान की रेटिंग लगभग पूरी हो चुकी है। उन्होंने कहा कि प्रोपल्शन मॉड्यूल – ठोस, तरल और क्रायोजेनिक – का सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया है। रॉकेट के शेष तत्वों को इस हद तक पुन: सत्यापित और योग्य बनाया गया है कि हम उन्हें मानव-रेटेड कह सकते हैं।

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