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India Middle East Europe Corridor पर चीन की पहली प्रतिक्रिया, प्रोजेक्ट का स्वागत तो किया लेकिन कह दी ये बड़ी बात

India Middle East Europe Corridor: इस गलियारे से इटली, जर्मनी, अमेरिका, फ्रांस और यूरोपियन यूनियन को भी जोड़ने की तैयारी है। एक तरफ इटली ने चीन के बीआरआई से निकलने की बात कही है तो वहीं भारत के प्रोजेक्ट से जुड़ने पर सहमति दी है।

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India Middle East Corridor
India Middle East Corridor

India Middle East Europe Corridor: दिल्ली में हुई जी20 समिट (G20 Summit 2023) में भारत से यूरोप तक आर्थिक गलियारे (India Middle East Europe Corridor) का ऐलान हुआ है। इस इकोनॉमिक कॉरिडोर को कनेक्टिविटी बढ़ाने की दिशा में काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। जी20 समिट में इस पर समझौता होने के बाद ये कॉरिडोर सुर्खियों में बना हुआ है। वहीं, इसे चीन की बेल्ट ऐंड रोड इनिशिएटिव (BRI) प्रोजेक्ट को काउंटर करने वाला भी बताया जा रहा है। इसी बीच चीन की ओर से इस पर पहली आधिकारिक प्रतिक्रिया सामने आई है।

चीन ने किया प्रोजेक्ट का स्वागत, लेकिन…

चीनी विदेश मंत्रालय ने सोमवार को एक बयान जारी इस गलियारे का स्वागत किया है। चीन ने कहा कि हम विकासशील देशों के बीच कनेक्टिविटी का स्वागत करते हैं, लेकिन यह खुला, समावेशी और सहयोगी होना चाहिए। इसका मकसद सिर्फ साझा विकास और कनेक्टिविटी को बढ़ावा देने के लिए होना चाहिए। याद रहे की ये भू-राजनीति का हथियार न बने।

‘अमेरिका की स्थिति ज्यादा बोलना और काम कम’

इससे पहले चीनी मीडिया ने अमेरिका के जरिए इस प्रोजेक्ट को घेरने की कोशिश की थी। चीनी मीडिया ने कहा था कि इस प्रोजेक्ट में अमरिका ने सहयोग का वाद तो किया है, लेकिन अमरिका बाते ज्यादा और काम कम करता है। चीनी के प्रमुख अखबार ग्लोबल टाइम्स में कहा गया था कि ऐसा पहली बार नहीं है जब अमेरिका किसी इंटरनेशनल प्रोजेक्ट पर सहमत हुआ हो। अमेरिका ने पहले भी दूसरे देशों की तरक्की के लिए ऐसी योजनाओं का आह्वान किया है, लेकिन ऐसी योजनाओं को लागू करने की कोशिश कभी नहीं की है।

इकॉनमिक कॉरिडोर से भारत को होगा फायदा

बता दें कि शनिवार (9 सितंबर) को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जी20 समिट में इंडिया-मिडल-ईस्ट यूरोप इकॉनमिक कॉरिडोर की घोषणा की थी। आने वाले समय में यह गलियारा भारत, पश्चिम एशिया और यूरोप के बीच आर्थिक सहयोग का अहम माध्यम होगा। इस गलियारे से पूरी दुनिया में ही स्थायी विकास और कनेक्टिविटी को मजबूती मिलेगी।

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