Citizenship Amendment Act: सूत्रों के मुताबिक नागरिकता संशोधन अधिनियम, तीन पड़ोसी देश – पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से भारत में बसने वाले धार्मिक अल्पसंख्यकों को नागरिकता देगा। माना जा रहा है कि केंद्र सरकार की तरफ से इसे अगले महीने लागू किया जा सकता है। गौरतलब है कि इस साल मई जून में लोकसभा के चुनाव भी होने है। खबरों के मुताबिक ऑनलाइन पोर्टल पंजीकरण के लिए तैयार है, और केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा ड्राई रन पहले ही किया जा चुका है।
बता दें कि सीएए इन पड़ोसी देशों के उन शरणार्थियों की मदद करेगा जिनके पास दस्तावेज नहीं हैं। सूत्रों के मुताबिक मंत्रालय को लंबी अवधि के वीजा के लिए सबसे ज्यादा आवेदन पाकिस्तान से मिले है। चलिए आपको बताते है कि सीएए क्या है? बिल को कब पेश किया गया था? इससे किसको लाभ मिलेगा
1414 गैर-मुस्लिम अल्पसंख्यकों को नागरिकता दी गई
पिछले दो वर्षों में नौ राज्यों के 30 से अधिक जिला मजिस्ट्रेटों और गृह सचिवों को नागरिकता अधिनियम 1955 के तहत अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से आने वाले हिंदुओं, सिखों, बौद्धों, जैनियों, पारसियों और ईसाइयों को भारतीय नागरिकता देने की शक्तियां दी गई थीं।
केंद्रीय गृह मंत्रालय की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, 1 अप्रैल, 2021 से 31 दिसंबर, 2021 तक पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के कुल 1414 गैर-मुस्लिम अल्पसंख्यकों को नागरिकता अधिनियम, 1955 के तहत पंजीकरण या देशीयकरण द्वारा भारतीय नागरिकता दी गई थी।
Citizenship Amendment Act क्या है?
Citizenship Amendment Act (सीएए), 2019 संसद द्वारा पारित किया गया था। यह बिल पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में सताए गए अल्पसंख्यक समूहों के लिए तेजी से नागरिकता प्रदान करने का प्रयास करता है। जिन छह अल्पसंख्यक समूहों की विशेष रूप से पहचान की गई है। वे हिंदू, जैन, सिख, बौद्ध, ईसाई और पारसी हैं। इस विधेयक का उद्देश्य अवैध प्रवासियों की परिभाषा को बदलना है। नागरिकता संशोधन विधेयक के लाभार्थी देश के किसी भी राज्य में रह सकते है।
भारत के अनुसार अवैध अप्रवासी कौन हैं?
नागरिकता अधिनियम, 1955 के अनुसार, एक अवैध आप्रवासी वह है जो नकली या जाली दस्तावेजों के साथ भारत में प्रवेश करता है और/या उसके पास वैध पासपोर्ट नहीं है। जो व्यक्ति वीज़ा परमिट से अधिक समय तक रहता है उसे अवैध अप्रवासी भी कहा जाता है।
Citizenship Amendment Act की क्या है विशेषताएं?
●यह कानून उन लोगों पर लागू होता है जिन्हें “धर्म के आधार पर उत्पीड़न के कारण भारत में शरण लेने के लिए मजबूर किया गया था। इसका उद्देश्य ऐसे लोगों को अवैध प्रवासन की कार्यवाही से बचाना है।
●संशोधन इन छह धर्मों से संबंधित आवेदकों के लिए एक विशिष्ट शर्त के रूप में देशीयकरण की आवश्यकता को 11 वर्ष से घटाकर 5 वर्ष कर देता है।
●नागरिकता के लिए कट-ऑफ तारीख 31 दिसंबर 2014 है, जिसका मतलब है कि आवेदक को उस तारीख को या उससे पहले भारत में प्रवेश करना चाहिए था।
●ऐसे व्यक्तियों को भारत में उनके प्रवेश की तारीख से भारत का नागरिक माना जाएगा, और उनके अवैध प्रवास या नागरिकता के संबंध में उनके खिलाफ सभी कानूनी कार्यवाही बंद कर दी जाएंगी।
इन जगहों पर लागू नही होगा सीएए
सीएए संविधान की छठी अनुसूची में शामिल असम, मेघालय, मिजोरम या त्रिपुरा के आदिवासी क्षेत्र और बंगाल ईस्टर्न फ्रंटियर रेगुलेशन, 1873 के तहत अधिसूचित इनर लाइन के अंतर्गत आने वाले क्षेत्र पर लागू नहीं होगा।
उपरोक्त अपवादों के अलावा, कानून सभी राज्यों में लागू होगा।
इन राज्यों ने सीएए लागू करने से मना किया था
केरल, पंजाब, पश्चिम बंगाल, के मुख्यमंत्रियों ने कहा है, कि वे इस अधिनियम को अपने-अपने राज्यों में लागू नहीं करेंगे। हालांकि, राज्यों के पास कानून के कार्यान्वयन से इनकार करने की शक्ति नहीं हो सकती है, क्योंकि यह संविधान की सातवीं अनुसूची की संघ सूची के तहत अधिनियमित किया गया है।
कानून को लेकर जमकर हुआ विरोध
बता दें कि इस कानून के लागू होने के बाद देशभर में जमकर विरोध प्रदर्शन हुआ। कुछ राजनीतिक पार्टियों ने इस कानून का जमकर विरोध किया। इन पार्टियों का कहना है कि इसमें संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है जो समानता के अधिकार की बात करता है। देश की राजधानी दिल्ली के शाहीन बाग में भी महिलाएं धरने पर बैठ गई थी। हालांकि अमित शाह ने यह साफ कर दिया है कि देश में सीएए लागू हो कर रहेगा। वहीं माना जा रहा है कि अगले महीने तक सीएए लागू हो सकता है।