Lala Lajpat Rai: वक्त जब बेतहाशा रफ्तार के साथ दौड़ रहा हो तो अतीत के किस्से बेहद संजीदे और जीवंत से लगते हैं। कुछ ऐसे भी किस्से होते हैं जिनके सहारे हम गौरवान्वित महसूस कर खुद को अतीत की ओर खींच ले जाते हैं। महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी लाला लाजपत राय की जयंती पर ऐसा ही एक किस्सा हम आपके लिए लाए हैं। ध्यान देने योग्य बात है कि ये किस्सा सच है और दर्शाता है कि कैसे Lala Lajpat Rai पर हुई क्रूरता के बाद अंग्रेजो के ताबूत में अंतिम कील ठोंकी गई थी। साथ ही ये भी बताएंगे कि कैसे भगत सिंह ने लाला लाजपत राय पर बरसी लाठियों का बदला लेते हुए देश का सम्मान वापस दिलाया था।
Lala Lajpat Rai पर क्रूरता, ब्रिटिश हुकूमत के लिए साबित हुई ताबूत की अंतिम कील?
लाहौर की वो शाम इतिहास में अमर हो गई, जब लाला लाजपत राय अपने सहयोगियों के साथ साइमन कमीशन का विरोध करने सड़क पर उतर गए। अक्टूबर 1927 में लाहौर रेलवे स्टेशन पर साइमन कमीशन का जमकर विरोध हुआ। इस दौरान अंग्रेज लगातार चेतावनी देते रहे। अंग्रेजों की चेतावनी सुन Lala Lajpat Rai गरजे। उन्होंने कहा “हम प्राणों का मोह छोड़ यहां आए हैं। तुम्हें जो अच्छा लगता हो करो, हम अपना काम कर रहे हैं।” इसके बाद ‘साइमन गो बैक’ के नारे से लाहौर रेलवे स्टेशन गूंज उठा।
अंग्रेजों ने आनन-फानन में लाठी चार्ज किया और जेम्स स्कॉट की लाठियां लाला लाजपत राय पर बरसने लगीं। लाठियों का बहादुरी से सामना कर रहे Lala Lajpat Rai अंतत: 17 नवंबर 1927 को जिंदगी से जंग हार गए और वीरगति को प्राप्त हुए। हालांकि, ब्रिटिश हुकूमत की ये गलती उनके लिए काल बनी और यहीं से देश की आजादी के लिए चल रहा आंदोलन उग्र हो गया। अंतत: स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों ने अंग्रेजों को भारत से उखाड़ फेंका और देश की आजादी दिलवाई।
Bhagat Singh ने वापस दिलाया था देश का सम्मान
लाला लाजपत राय पर क्रूरता के बाद सेनानियों में उग्रता की ज्वाला भभक उठी थी। महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी Bhagat Singh ने इसका बखूबी बदला लिया। पंडित जवाहर लाल नेहरू की शब्दों में कहें तो, भगत सिंह ने जेम्स स्कॉट पर गोलीबारि कर देशवासियों की नज़र में Lala Lajpat Rai का सम्मान वापिस दिलाया। दरअसल, भगत सिंह ने 17 दिसंबर, 1927 को लालाजी पर लाठी भांजने वाले जेम्स स्कॉट पर फायरिंग कर दी। हालांकि, उनका निशाना चुक गया और स्कॉट के बजाय सैंडर्स मारा गया। इसके बावजूद भारतीयों में हर्ष की लहर दौड़ पड़ी क्योंकि हमारे वीर योद्धाओं ने लाला लाजरत राय के मौत का बदला ले लिया था। उनके इस कदम से मानों देश में लालाजी का सम्मान वापस आ गया हो। इसके बाद देश के विभिन्न हिस्सों में इसकी चर्चा होने लगी और लोग खुशियां मनाने लगे।