Dahi Bhalla Famous Shop: दिल्ली की गलियों को अगर खान-पान का साम्राज्य बोला जाता है तो चांदनी चौक को हम उसका ताज कह सकते हैं, इसमें कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। जो खाने-पीने के शौकीन हैं उसके लिए दिल्ली में कई खास जगहें हैं, जहां हम एक से बढ़कर एक लजीज फूड्स का मजा उठा सकते हैं। लेकिन आज हम आपको एक ऐसी दुकान लिए चलते हैं जो अंग्रेजों के जमाने से जलवे बिखेर रही है। यह दुकान चांदनी चौक पर स्थित है।
आज भी दुकान का जलवा कायम
दही-भल्ले या आलू की टिक्की की बात होते ही मुंह में पानी स्वाभाविक है। राजधानी दिल्ली में दही-भल्ले और आलू की टिक्की की एक सबसे पुरानी दुकान है, जहां ये दोनों लजीज व्यंजन परोसे जाते हैं। इस दुकान पर आपको हमेशा लोगों का जमघट दिखाई देगा। दुकान सुबह 11 बजे खुल जाती है और रात 9 बजे तक खुली रहती है। अंग्रेजों के जमाने से चले आ रहे इस दुकान का आज भी जलवा कायम है।
मशहूर दुकानों में शुमार ‘नटराज दही भल्ला कॉर्नर’
अगर आप पुरानी दिल्ली घूम रहे हैं तो आप मशहूर बाजार चांदनी चौक पहुंचे। जब आप चांदनी चौक प्रवेश करेंगे तो आगे चलकर दाईं ओर सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया के बगल में आपको एक छोटी सी दुकान ‘नटराज दही भल्ला कॉर्नर’ दिखेगा। इस दुकान पर दही-भल्ले और आलू की टिक्की को खाने के लिए लोगों की भारी भीड़ रहती है। भीड़ का अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि दुकान के मालिक ने यहां एक गार्ड नियुक्त कर रखा है। नटराज दही-भल्ला कॉर्नर का नाम दिल्ली की मशहूर दुकानों में शुमार है।
नहीं है कोई तामझाम
यहां के दही-भल्ले की बात ही कुछ और है। यहां के भल्लों की बात करें तो भल्लों पर Fat Free गाढ़ी दही भरपूर मात्रा में होती है। इसके ऊपर अलग-अलग किस्मों के बीजों से भरी सौंठ का उपयोग किया जाता है। इसके ऊपर एक खास किस्म का मसाला होता है। अक्सर अगर आप दही-भल्ले खाते हैं तो आपको रिझाने के लिए दुकानदार ऊपर में बहुत कुछ डालकर उसे सजावटी बनाते हैं और फिर आपको परोसते हैं। लेकिन यहां किसी भी प्रकार का कोई तामझाम नहीं है। दही-भल्ले पर न आपको अदरक के लच्छे दिखेंगे, न धनिया और न ही अनार दाने। आपको एक सिंपल प्लेट परोसा जाएगा, लेकिन उसका स्वाद सबसे अलग और अनोखा। इस दही भल्ले में अनार और ड्राई फ्रुट्स की फीलिंग है, जो इसे सबसे खास बनाता है। यहां एक प्लेट दही-भल्ले की कीमत 60 रुपए है।
आलू की टिक्की स्वाद में दिलकश
दही-भल्ले की तरह यहां की आलू की टिक्की भी शानदार है। चौड़े तवे की सौंधी-सौंधी खुशबी आती रहती है। साथ ही ब्राउन और कुरकुरी टिक्की पर मीठी और हरी चटनी से एक अलग स्वाद मिलता है। मुंह में डालते ही टिक्की का घुलना शुरू हो जाता है। यहां एक प्लेट आलू की टिक्की की कीमत भी 60 रुपए ही है।
प्यारे लाल शर्मा ने 1940 में शुरू किया था दुकान
जानकारी के अनुसार साल 1940 में प्यारेलाल शर्मा ने इस दुकान को शुरू किया था। उसके बाद उनके बेटे चांद ने दुकान चलाया। वर्तमान समय में उनके दो भतीजे जीतिन शर्मा और राजीव शर्मा दुकान संभाल रहे हैं। प्यारेलाल शर्मा के समय में टिक्की देसी घी में तली जाती थी। लेकिन शुद्ध घी नहीं मिलने के कारण अब देसी घी में टिक्की नहीं तली जाती है।