Bhopal Gas Tragedy: सुप्रीम कोर्ट आज भोपाल गैस त्रासदी के पीड़ितों को अतिरिक्त मुआवजे मिलने के मामले में फैसला सुना दिया है। न्यायालय ने केंद्र सरकार की याचिका को खारिज कर दिया है। बता दें, सरकार गैस त्रासदी के पीड़ितों को अतिरिक्त मुआवजे के रूप में 7844 करोड़ रुपए की मांग कर रही थी। अतिरिक्त मुआवजे की मांग को लेकर साल 2010 में सुप्रीम कोर्ट में क्यूरेटिव पिटीशन दायर किया गया था।
आज आएगा फैसला (Bhopal Gas Tragedy)
जानकारी के अनुसार जस्टिस संजय किशन पौल की अध्यक्षता वाली 5 जजों की संविधान पीठ इस मामले में अपना फैसला सुनाया। इससे पहले 12 जनवरी को जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस जेके महेश्वर की पीठ ने केंद्र सरकार की याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
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12 जनवरी को हुई थी सुनवाई
बता दें, इससे पहले 12 जनवरी को सुनवाई हुई थी। इस दिन यूसीसी की उत्तराधिकारी फर्मों ने सर्वोच्च न्यायालय को बताया था कि केंद्र सरकार ने मुआवजा अपर्याप्त होने का कभी भी सुझाव नहीं दिया था। उन्होंने कहा कि साल 1989 के बाद से रुपए का अवमूल्यन मुआवजे की मांग का आधार नहीं बन सकता है। मामले पर सुनवाई के बाद कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
भारत सरकार कर रही मुआवजे की मांग
गौर हो कि भारत सरकार साल 1989 में हुए समझौते के तहत अमेरिकी कंपनी से मिले 715 करोड़ रुपए के अलावा इन फर्मों से मुआवजा की मांग कर रही थी। सरकार फर्मों से करीब 7844 करोड़ रुपए की मांग की गई थी। केंद्र सरकार ने याचिका में कहा था कि भोपाल गैस त्रासदी के बाद नुकसान का आकलन ठीक से नहीं किया गया था।
पीड़ित अभी भी कर रहे संघर्ष
याचिका के माध्यम से केंद्र सरकार का कहना है कि भोपाल गैस त्रासदी के बाद लोग लंबे समय तक उपचार के लिए संघर्ष कर रहे हैं। साथ ही उनको पर्याप्त मुआवजा नहीं मिला है। इस मामले में 7 जून 2010 को भोपाल के एक न्यायालय ने यूसीआईएल के 7 अधिकारियों को 2 साल की सजा सुनाई थी।
त्रासदी में 3787 लोगों की हुई थी मौत
बता दें, भोपाल गैस त्रासदी साल 1984 में हुई थी। 2-3 दिसंबर 1984 की रात में यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री के एक टैंक से मिथाइल आइसोसाइनेट गैस रिसने लगा था। इसके कारण चारों ओर लाशें ही लाशें बिछ गई थीं। भोपाल गैस त्रासदी में 3787 लोगों की मौत हुई थी।