Friday, November 22, 2024
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Delhi Services Bill: दिल्ली सेवा बिल से केंद्र ने हटाई ये बड़ी धारा, यहां जानिए इससे किसको होगा फायदा

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Delhi AAP Candidate List: देश में महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा चुनाव के नतीजों की चर्चा है। इसी सियासी गहमा-गहमी के बीच दिल्ली के पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) ने सधी चाल चलते हुए बड़ा कदम उठाया है।

Delhi Services Bill: राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) सेवा विस्तार विधेयक संसद में पेश हो गया है। अब इस पर चर्चा की जानी है। लेकिन, बिल पेश करने से पहले केंद्र सरकार ने इसमें से एक बड़ी धारा हटा दी थी। बिल में बदलाव करते हुए अध्यादेश की धारा 3A को हटा दिया गया है, जो राज्य विधानसभा को ‘सेवाओं’ पर कोई भी कानून बनाने से प्रतिबंधित करती थी।

विधेयक में अधिकारियों की नियुक्ति के संबंध में राज्य सरकार पर प्रधानता के लिए केंद्र द्वारा बनाए गए अध्यादेश के सभी प्रमुख प्रावधान शामिल हैं। विधेयक में विधानसभा के लिए बनाई गई भूमिका अहम है और ऐसा लगता है कि इसका मकसद सुप्रीम कोर्ट द्वारा पूछा गया वो सवाल है कि क्या राज्य सरकार को ‘सेवाओं’ के मामले में किसी भी भूमिका से इनकार किया जा सकता है।

बिल में क्या बदलाव हुए ?

‘सेवाओं’ में राज्य सरकार की भूमिका तय करने के अलावा, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) विधेयक केंद्र सरकार को वार्षिक रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए दिल्ली सरकार के लिए अध्यादेश के तहत अनिवार्य आवश्यकता को भी हटाया गया है। यह केंद्र सरकार को भेजे जाने वाले प्रस्तावों या मामलों से संबंधित मंत्रियों के आदेशों/निर्देशों को उपराज्यपाल (एलजी) और दिल्ली के मुख्यमंत्री के समक्ष रखने को अनिवार्य करने वाले प्रावधान को भी हटाया गया है।

बिल में जोड़ी गई ये धारा

अध्यादेश में एक और बदलाव करते हुए, सरकार को सांविधिक निकाय में किसी भी प्राधिकरण, बोर्ड, आयोग या एलजी द्वारा नियुक्ति के लिए उपयुक्त व्यक्तियों के एक पैनल की सिफारिश करने की अनुमति देने के लिए बिल की धारा 45 डी में उप-धारा (बी) जोड़ा गया है।

अध्यादेश में (धारा 45डी के तहत) ऐसी सभी शक्तियां राष्ट्रपति या दूसरे शब्दों में केंद्र के पास रहेंगी। हालांकि, यह रियायत इस शर्त के साथ दी गई है कि राज्य सरकार की सिफारिश करने की शक्ति केवल राज्य विधानसभा द्वारा निर्मित और शासित निकायों तक ही सीमित होगी।

सिर्फ सिफारिश कर पाएगी दिल्ली सरकार

इसके अलावा, दिल्ली सरकार की भूमिका सिफारिश करने तक ही सीमित रहेगी। बिल एलजी को सिफारिशों को अस्वीकार करने या संशोधनों की मांग करने की शक्ति देता है। विधेयक इस भ्रम को भी दूर करता है कि वैधानिक निकायों में नियुक्तियां कौन करेगा।

दरअसल हाल ही में डीईआरसी अध्यक्ष को लेकर सरकार और एलजी के बीच गतिरोध देखा गया था। यदि विधेयक संसद द्वारा पारित हो जाता है, तो एलजी के पास दिल्ली में सभी वैधानिक बोर्डों और आयोगों में नियुक्ति की शक्तियां आ जाएंगी।

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Brijesh Chauhan
Brijesh Chauhanhttps://www.dnpindiahindi.in
बृजेश बीते 4 सालों से पत्रकारिता के क्षेत्र से जुड़े हुए हैं। इन्होंने हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय से पत्रकारिता में M.A की पढ़ाई की है। यह कई बड़े संस्थान में बतौर कांटेक्ट एडिटर के तौर पर काम कर चुके हैं। फिलहाल बृजेश DNP India में बतौर कांटेक्ट एडिटर पॉलिटिकल और स्पोर्ट्स डेस्क पर अपनी सेवाएं दे रहे हैं।

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