DU Syllabus: ‘सारे जहां से अच्छा’ लिखने वाले शायर मोहम्मद इकबाल को अब दिल्ली यूनिवर्सिटी में नहीं पढ़ाया जाएगा। जी हां, DU प्रशासन ने उन्हें सिलेबस से आउट करने का फैसला ले लिया है। ये फैसला शुक्रवार को हुई अकेडमिक काउंसिल की बैठक में लिया गया है। ऐसे में अब कवि इकबाल के पूरे चैप्टर को पॉलिटिकल साइंस के सिलेबस से हटा दिया जाएगा। इसके लिए पाठ्यक्रम में कुछ बदलाव भी किए जाएंगे। मोहम्मद इकबाल को अक्सर पाकिस्तान के विचार को जन्म देने वाले का श्रेय दिया जाता है। मुहम्मद अल्लामा इकबाल का जन्म 1877 में अविभाजित भारत में हुआ था।
‘ऐसे लोगों को सिलेबस में नहीं होना चाहिए‘
दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. योगेश सिंह ने कहा, “भारत को तोड़ने की नींव रखने वालों को पाठ्यक्रम में नहीं होना चाहिए”। कुलपति ने कहा कि बैठक में इस प्रस्ताव को सर्वसम्मति से पारित किया गया है। इसके अलावा बैठक में अंडरग्रेजुएट करिकुलम फ्रेमवर्क (UGCF) 2022 के तहत विभिन्न पाठ्यक्रमों के चौथे, पांचवें और छठे सेमेस्टर के पाठ्यक्रम के लिए संकल्प पारित किया गया। इस मौके पर डॉ.भीमराव अंबेडकर व अन्य को पढ़ाने पर भी चर्चा की गई।
बैठक में प्रस्ताव को मिली मंजूरी
वहीं, अकादमिक परिषद के एक सदस्य ने कहा, “राजनीति विज्ञान के पाठ्यक्रम में बदलाव के संबंध में एक प्रस्ताव लाया गया था। प्रस्ताव के अनुसार इकबाल पर एक अध्याय था जिसे पाठ्यक्रम से हटा दिया गया है।” यह स्थायी समिति का एक सुझाव था, जिसे दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति द्वारा अकादमिक परिषद की बैठक में पास कर दिया गया है।
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‘विभाजन के लिए भी जिम्मेदार थे इकबाल’
राजनीति विज्ञान के पाठ्यक्रम में बदलाव के बारे में पूछे जाने पर दिल्ली यूनिवर्सिटी में ABVP (Akhil Bharatiya Vidyarthi Parishad) विंग ने कहा, “मोहम्मद इकबाल को पाकिस्तान का दर्शन का जनक कहा जाता है। उन्होंने जिन्ना को मुस्लिम लीग में एक बड़े नेता के रूप में स्थापित करने में बड़ी भूमिका निभाई थी। मोहम्मद इकबाल विभाजन के लिए भी जिम्मेदार हैं। एबीवीपी और डीयू के छात्र इस कदम की सराहना करते हैं।’
स्पोर्ट्स कोटे पर चर्चा के लिए हुई थी बैठक
अकेडमिक काउंसिल की बैठक में स्वतंत्रता और विभाजन स्टडी केंद्र के गठन जैसे कई प्रस्तावों को मंजूरी दी गई, जिसका काउंसिल के कई सदस्यों ने विरोध किया। काउंसिल के सदस्य सदस्य मिठुराज धुसिया ने कहा कि केंद्र का प्रस्ताव विभाजनकारी है। इससे भड़काऊ और सांप्रदायिक भाषणों को बढ़ावा मिलेगा। काउंसिल की बैठक स्पोर्ट्स और एक्सट्रा करिकुलर एक्टिविटीज (ECA) के मुद्दे पर चर्चा करने के लिए आयोजित की गई थी। बैठक में कई अन्य मुद्दों पर भी चर्चा हुई, जबकि कई प्रस्ताव पारित किए गए।
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