CM kejriwal: दिल्ली में अधिकारियों की ट्रांसफर-पोस्टिंग मामले और केंद्र सरकार के अध्यादेश के खिलाफ आम आदमी पार्टी मोर्चा खोले बैठी हुई है। अध्यादेश के विरोध में APP विपक्षी दलों को एकजुट कर समर्थन जुटाने में लगी हुई है, ताकि संसद में इसे कानून बनने से रोका जा सके। APP के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल अब तक कई विपक्षी नेताओं से मिलकर इसके विरोध में समर्थन मांग चुके हैं। सभी जगह उन्हें कामयाबी ही हाथ लगी है।
7 जून को SP सुप्रीमो से करेंगे मुलाकात
अध्यादेश के खिलाफ समर्थम मांगने अब CM kejriwal 7 जून को उत्तर प्रदेश आएंगे। यहां वे समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव से मुलाकात करेंगे और अध्यादेश के खिलाफ समर्थन मांगेंगे और कई अन्य मुद्दों पर चर्चा करेंगे। CM kejriwal के साथ APP के अन्य नेता, सांसद राघव चड्ढा और पंजाब के CM भगवंत मान भी मौजूद रहेंगे। लेकिन, इस मुलाकात के सियासी मायने क्या है ? और क्या विपक्षी को एकजुट कर केजरीवाल केंद्र के अध्यादेश को रोक पाएंगे ?
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कांग्रेस के बीच नामुमकिन है ये लड़ाई
केंद्र के अध्यादेश के खिलाफ केजरीवाल अब तक भारत भ्रमण कर चुके हैं। वे बंगाल, तेलंगाना, बिहार, झारखंड, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु से लेकर कई अन्य राज्यों के मुख्यमंत्रियों से मिल चुके हैं। लेकिन, कांग्रेस के बीना APP ये लड़ाई नहीं जीत पाएगी। उन्हें हर हाल में कांग्रेस का साथ चाहिए होगा। ऐसा इसलिए क्योंकि राज्यसभा में कांग्रस मुख्य विपक्षी दल है और अन्य पार्टियों के मुकाबले कांग्रेस की स्ट्रेंथ यहां ज्यादा है। ऐसे में कांग्रेस के बीना ये लड़ाई AAP के लिए नामुमकिन होगी।
क्या कहता है राज्यसभा का समीकरण
अगर केंद्र इस अध्यादेश को कानून बनाने के लिए राज्यसभा में लती है तो इस पर कुल 233 सांसद मदातन करेंगे। अध्यादेश को कानून बनाने के लिए कुल 117 सांसदों का समर्थन चाहिए होगा। राज्यसभा के समीकरण की बात करें तो यहां BJP के 92 सांसद हैं। इसके साथ उन्हें अपने सहयोगी दलों का भी समर्थन है।
अगर BJP को इस अध्यादेश को कानून में तबदील करना है तो उसे थोड़े और सांसदों की जरूरत पड़ेगी। ऐसे में BJP कुछ पार्टियों से इस पर समर्थन मांग सकती है। वहीं, दूसरी तरफ मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के पास कुल 31 सांसद है। ऐसे में AAP कांग्रेस के अलावा अन्य पार्टियों का भी समर्थन जुटा रही है।
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