Delhi Mayor Election: दिल्ली में मेयर और डिप्टी मेयर पद के चुनाव को लेकर सरगर्मी तेज हो गई। गुरुवार को आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता सौरभ भारद्वाज ने मीडिया से बात करते हुए चुनाव से जुड़ी जानकारियां दी। उन्होंने बताया कि डिप्टी मेयर पद और मेयर के लिए नामांकन की आखिरी तारीख 18 अप्रैल है ऐसे में 17 अप्रैल को हमारी पार्टी के उम्मीदवार अपना नामांकन दाखिल करेंगे। दोनों ही पदों के लिए 26 अप्रैल को चुनाव होगा। ऐसे में आम आदमी पार्टी की तरफ से कमर कस लिया गया है। वहीं लोग अभी तक उम्मीदवार की घोषणा न होने की वजह से ये जानना चाह रहे हैं कि आखिर आप पार्टी किसे उम्मीदवार बनाती है।
बीजेपी को लेकर कही ये बात
शहरी विकास मंत्री सौरभ भारद्वाज मीडिया से बात करते हुए बीजेपी पर भी तंज कसते हुए दिखाई दिए। उन्होंने कहा बीजेपी ने अभी से हार मान ली है। बीजेपी के नेताओं को एमसीडी चुनाव में मिले हार अभी तक तकलीफ दे रही है। इस दौरान जब उनसे आप पार्टी की तरफ से नामांकन के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि आखिरी तारीख 18 अप्रैल है इसलिए हमारी पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने ये फैसला किया है कि हम अपना नामांकन 17 अप्रैल को करेंगे।
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इन उम्मीदवारों पर आम आदमी पार्टी का फोकस
आम आदमी पार्टी का फोकस अपने अपने पुराने उम्मीदवारों पर ही है। फरवरी के महीने में हुए मेयर के चुनाव में बीजेपी की रेखा गुप्ता को हार का सामना करना पड़ा था। रेखा गुप्ता को कुल 116 वोट ही मिले थे। वहीं अगर हम आप पार्टी की शैली ओबेरॉय की बात करें तो उन्हें 150 वोट मिले थे। बीजेपी की उम्मीदवार रेखा गुप्ता को आम आदमी पार्टी की नेता शैली ओबेरॉय ने करारी शिकस्त दी थी। ऐसे में यह माना जा रहा है कि आम आदमी पार्टी एक बार फिर से शैली ओबेरॉय पर ही दांव खेल सकती है। वहीं डिप्टी मेयर पद के लिए मोहम्मद इकबाल को फिर से आम आदमी पार्टी मौका दे सकती है। फरवरी के महीना में हुए मेयर के चुनाव के समय चौथी बार में सही तरीके से चुनाव हो पाया था।
आखिर दिल्ली में क्यों होता है हर साल मेयर का चुनाव
डीएमसी एक्ट के तहत दिल्ली में हर साल मेयर और नगर निगम का चुनाव करवाया जाता है। डीएमसी एक्ट में यह बताया गया है कि एमसीडी के लिए साल का प्रथम माह अप्रैल के महीने से शुरू होता है वहीं 31 मार्च को इसका साल का आखिरी दिन होता है। इस कानून को बनाते समय यह ध्यान रखा गया था कि हर वर्ग के लोगों को इसका प्रतिनिधित्व मिले। ऐसे में इसका चुनाव 1 साल के लिए ही होता है, वहीं इस कानून में ये भी बताया गया है कि प्रत्येक तीसरे साल में केवल एससी/एसटी का ही कैंडिडेट चुनाव लड़ सकता है। ऐसे में समाज का हर एक वर्ग चुनाव लड़ पाएगा साथ ही प्रतिनिधित्व करने का भी उसे मौका मिल जाएगा।
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