Delhi Politics: राजधानी दिल्ली में अब बिजली सब्सिडी को लेकर घमासान शुरू हो गया है। शुक्रवार को दिल्ली के सीएम केजरीवाल और राज्यपाल विनय कुमार सक्सेना के बीच जमकर टकरार देखने को मिली। राज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने बिजली विभाग के मुख्य सचिव को खूब फटकार लगाई है और बिजली सब्सिडी रोके जाने संबंधी डिटेल की मांग की है। बिजली विभाग के मुख्य सचिव नरेश कुमार को इसकी जानकारी मंत्रिपरिषद के समक्ष 15 दिनों के भीतर रखना होगा। दिल्ली के राज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने मुख्यमंत्री केजरीवाल को बिजली विभाग में होने वाली खामियों के बारे में बताया।
ऐसे में उन्होंने मुख्यमत्री केजरीवाल को ये सलाह दिया कि उनके मंत्री दिल्ली में पूरी ईमानदारी से काम करें। मंत्रियों के ईमानदारी से काम करने पर राज्य के साथ – साथ देश का भी भला होगा। वहीं एलजी विनय कुमार सक्सेना बिजली की सब्सिडी को लेकर भी दिल्ली सरकार से नाराज दिखे। एलजी ने शुक्रवार को आदेश जारी करते हुए कहा कि “आखिर दिल्ली सरकार बिना कैबिनेट की मंजूरी के लोगों को सब्सिडी कैसे दे रही है।”
डीईआरसी ने दी थी सलाह
साल 2020 में सीएम केजरीवाल को डीईआरसी ने एक सलाह दी थी। इस सलाह में कहा गया था कि बिजली की सब्सिडी उन्हीं लोगों को मिलनी चाहिए जो वास्तविक रूप से कमजोर और इसके जरूरतमंद हैं। ऐसे में डीईआरसी की तरफ से इस सब्सिडी को लेकर दिल्ली सरकार को विचार करने के लिए कहा गया था। ऐसे में दिल्ली की आम आदमी पार्टी की सरकार ने इस सलाह को अनदेखा कर दिया और लोगों के बीच इसको लागू कर दिया। बिजली विभाग की तरफ से जारी रिपोर्ट में ये कहा गया कि 1 से लेकर 5 किलोवाट तक बिजली का प्रयोग करने वाले लोगों को इसका बहुत फायदा मिला। वहीं जिन लोगों को वास्तव में इसकी जरूरत थी वो बिजली सब्सिडी ला लाभ नहीं ले पाए।
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बिजली कंपनियों ने खुद की शिकायत
अभी कुछ दिनों पहले ही दिल्ली में बिजली का संचालन करने वाली कंपनियों ने मुख्य सचिव नरेश कुमार से इसकी शिकायत की थी। इस शिकायत में दो कंपनियां बीआरपीएल व बीवाईपीएल शामिल थी। इन दोनों कंपनियों ने प्रमुखता से मुख्य सचिव के सामने बकाया सब्सिडी को लेकर बात रखी थी।
इस शिकायत के बाद मामला बड़े तेजी से तूल पकड़ने लगा था। वहीं मामले को बढ़ता देखकर मुख्यसचिव ने इसकी जानकारी एलजी विनय कुमार सक्सेना को दी। इस शिकायत के बाद ये कहा गया था कि इस तरह से हमें किसी भी एजेंसी को व्यावसायिक लेन-देन का पैसा देना कानून का उलंघन होगा। वहीं डीईआरसी ने सरकार को सुझाव देते हुए कहा था कि सब्सिडी केवल पांच किलोवाट तक ही सीमित रखना चाहिए।
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