Independence Day 2024: 78वें स्वतंत्रता दिवस के इस खास अवसर पर देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लाल किले की प्राचीर से ध्वजारोहण किया है। ध्वजारोहण के बाद पीएम मोदी ने देश की जनता के नाम अपना संबोधन भी शुरू कर दिया है। इस संबोधन में पीएम मोदी का जोर ‘विकसित भारत’ देखने को मिला है। उनका कहना है कि “अगर 140 करोड़ देशवासी चाहें तो 2047 तक भारत विकसित राष्ट्र के रूप में अपनी छवि वैश्विक स्तर पर स्थापित कर सकता है।” इसके अलावा भी पीएम मोदी ने कई पहलुओं को संबोधन में स्थान दिया है। (Independence Day 2024)
पीएम मोदी का खास संबोधन
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज लाल किले की प्राचीर से देश के नाम संबोधन करते हुए कई अहम पहलुओं पर अपने विचार रखें हैं।
पीएम मोदी का कहना है कि ”हमें गर्व है कि हमारे पास उन 40 करोड़ लोगों का खून है, जिन्होंने भारत से औपनिवेशिक शासन को उखाड़ फेंका था। आज, हम 140 करोड़ लोग हैं, अगर हम संकल्प करें और एक दिशा में एक साथ आगे बढ़ें, तभी हम रास्ते में आने वाली सभी बाधाओं को पार करके 2047 तक ‘विकसित भारत’ बना सकते हैं।”
महिला उत्थान का जिक्र
पीएम मोदी ने लाल किले की प्राचीर से देश के नाम संबोधन में महिला उत्थान का जिक्र कर आधी आबादी की आर्थिक स्वतंत्रता पर जोर दिया है।
पीएम मोदी ने कहा है कि “पिछले 10 वर्षों में 10 करोड़ महिलाएं महिला स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी हैं। अब 10 करोड़ महिलाएं आर्थिक रूप से स्वतंत्र हो रही हैं। जब महिलाएं आर्थिक रूप से स्वतंत्र हो जाती हैं तो वे घर में निर्णय लेने की प्रणाली का हिस्सा बन जाती हैं जिससे सामाजिक परिवर्तन होता है। केन्द्र सरकार द्वारा अब तक देश में स्वयं सहायता समूहों को 9 लाख करोड़ रुपये दिए जा चुके हैं।”
देश को मजबूत करने का इरादा
पीएम मोदी ने आज लाल किले की प्राचीर से अपने संबोधन के दौरान केन्द्र के इरादे को स्पष्ट किया।
पीएम मोदी का कहना है कि “हमें एक बड़ी जिम्मेदारी दी गई थी और हमने जमीन पर बड़े सुधार पेश किए। मैं देशवासियों को आश्वस्त करना चाहता हूं कि सुधारों के प्रति हमारी प्रतिबद्धता गुलाबी कागज के संपादकीय तक सीमित नहीं है। सुधारों के प्रति हमारी प्रतिबद्धता किसी के लिए नहीं है। हमारी रिफॉर्म प्रक्रिया किसी मजबूरी के तहत नहीं है, ये देश को मजबूत करने के इरादे से है। इसलिए, मैं कह सकता हूं कि रिफॉर्म्स का हमारा रास्ता एक प्रकार से ग्रोथ का ब्लूप्रिंट है , यह बदलाव केवल वाद-विवाद क्लबों, बौद्धिक समाजों और विशेषज्ञों के लिए चर्चा का विषय नहीं है। हमने राजनीतिक मजबूरियों के लिए ऐसा नहीं किया, हमारा एक ही संकल्प है- राष्ट्र प्रथम।”