Delhi Politics: दिल्ली में अधिकारियों के ट्रांसफर का मामला एक बार फिर गरमा गया है। कुछ दिनों पहले ही सुप्रिम कोर्ट ने ट्रांसफर मामले में दिल्ली सरकार के पक्ष में फैसला सुनाया था। लेकिन, दो दिनों के अंदर ही केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने SC के फैसले को पलट दिया है। यानी अब दोबार से दिल्ले के बॉस LG होंगे। अधिकारियों के ट्रांसफर की सारी पावर उनके पास ही होगी। ये सब हुआ है केंद्र सरकार के एक अध्यादेश के चलते, जो सरकार ने बीते दिनों जारी किया है।
केंद्र ने जारी किया अध्यादेश
दरअसल, केंद्र सरकार ने शुक्रवार को दिल्ली सरकार के अधिकारों पर एक अध्यादेश जारी किया। अध्यादेश के मुताबिक, दिल्ली में अधिकारियों के ट्रांसफर-पोस्टिंग का आखिरी फैसला उपराज्यपाल (Lieutenant Governor) का होगा। इसमें मुख्यमंत्री का कोई अधिकार नहीं होगा। केंद्र सरकार ने ये फैसला सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद किया है। सुप्रीम कोर्ट ने 11 मई को आदेश दिया था कि अफसरों के ट्रांसफर और पोस्टिंग की पावर दिल्ली सरकार के पास रहेगी। अब केंद्र ने अध्यादेश के जरिए कोर्ट का फैसला पलट दिया है।
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क्या कहता है अध्यादेश ?
अध्यादेश में साफ लिखा गया है कि दिल्ली यूनियन टेरिटरी है, लेकिन विधायिका के साथ। दिल्ली में प्रधानमंत्री कार्यालय, राष्ट्रपति कार्यालय कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय संस्थान और अथॉरिटीज काम कर रही हैं। सुप्रीम कोर्ट समेत कई संवैधानिक संस्थाएं हैं। विदेशी और तमाम ऑफिस हैं। ऐसे में उनकी सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए ये निर्णय लिया गया है।
AAP ने बताया थोपे हुए आदेश
संसद में अब 6 महीने के अंदर इससे जुड़ा कानून भी बनाया जाएगा। वहीं, इस मामले में AAP ने कहा कि केंद्र सरकार अरविंद केजरीवाल से डरी हुई है, अध्यादेश से साफ है कि यह सुप्रीम कोर्ट की अवमानना है। सरकार के पास निर्णय लेने की ताकत होनी चाहिए यही लोकतंत्र का सम्मान है। अरविंद केजरीवाल को पावर देने के डर से केंद्र सरकार अध्यादेश लेकर आई है। AAP सरकार ने इसे नकारते हुए थोपा हुआ अध्यादेश बताया है।
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