Dhanteras 2024: 29 अक्टूबर को दिवाली (Diwali) से पहले धनतेरस (Dhanteras) का पर्व मनाया जाएगा। इस दिन भगवान धन्वन्तरि और माँ लक्ष्मी को पूजा जाता है। धनतेरस को बर्तन खरीदना काफी शुभ माना जाता है। इसलिए लोग इस दिन बर्तनों के साथ-सोने और चांदी की खूब खरीददारी करते हैं। धनतेरस को हिन्दू ही नहीं बल्कि जैन धर्म के लोग भी धूमधाम से मनाते हैं। आज हम आपको इसी के बारे में बताने जा रहे हैं।
धनतेरस (Dhanteras) की हिन्दू धर्म में मान्यता
धनतेरस (Dhanteras) को कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि यानी की 13 तारीख को मानाया जाता है। इस दिन भगवान धन्वंतरि की पूजा करने से दरिद्रता दूर होती है। इसलिए ये पर्व हिन्दू धर्म में इसकी विशेष मान्यता है। हिन्दू शास्त्रों की मानें तो इस, दिन भगवान धन्वंतरि समुंद्र मंथन के बाद देवताओं के लिए अमृत कलश लेकर आए थे। इस वजह से इस तिथि को धनतेरस या धनत्रयोदशी तिथि के नाम से ही जाना जाता है। ये पर्व सिर्फ हिन्दू धर्म में ही नहीं बल्कि, जैन धर्म में भी मनाया जाता है। जैन दिन में धनतेरस की अलग ही मान्यता है।
जैन धर्म में धनतेरस की क्या है मन्यता?
जैन धर्म में धनतेरस को ‘धन्य तेरस’ या ‘ध्यान तेरस’ के नाम से जाना जाता है। मान्यताओं की मानें तो जैन धर्म के 24 वें और अंतिम तीर्थकर भगवान महावीर धनरतेस के दिन तीसरे और चौथे ध्यान में जाने के लिये योग निरोध हुए थे, यानी कि मन में उठने वाले विचारों से उन्हें मुक्ति पाने की तरफ बढ़े थे। इसलिए इस दिन का जैन धर्म में काफी महत्व है। इसके साथ ही भगवान महावीर को दिवाली वाले दिन ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। इसलिए जैन धर्म के लोग धनतेरस के साथ दिवाली भी मनाते हैं।
जिस दिन भगवान महावीर को ज्ञान को प्राप्ति हुई थी, उस दिन कार्तिक मास की अमावस्या था और सन 527 ईसा पूर्व थी। भगवान महावीर को दिवाली के दिन ज्ञान की प्राप्ति होने के कारण जैनी लोग इस दिन को धूमधाम से मनाते हैं। इस दिन जैन धर्म के लोग भगवान महावीर की पूजा करते हैं और मंदिरों को खूब सजाते हैं।
कौन थे भगवान महावीर स्वामी
जैन धर्म के 24वें और अंतिम तीर्थंकर महावीर स्वामी को माना जाता है। भगवान महावीर ने लोगों को सत्य और अहिंसा की शिक्षा दी। भगवान महावीर ने सभी इंद्रियों को वश में किया था। जैन धर्म की शुरुआत भारत से हुई थी। ये दुनिया के सबसे पुराने धर्मों में से एक माना जाता है। जैन धर्म का संस्थापक ऋषभ देव माने जाते हैं लेकिन इस धर्म की शुरुआत भगवान महावीर से हुई ।
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