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BR Ambedkar ने क्या पंडित नेहरू व Congress पर लगाए थे दलितों की अनदेखी के आरोप? बाबा साहब की विरासत पर छिड़ी जंग में पार्टी कितनी आगे?

भारत रत्न डॉ BR Ambedkar को लेकर छिड़े सियासी घमासान के बीच कई तरह के तथ्यों पर चर्चा है। सवाल उठ रहे हैं कि क्या बाबा साहब ने पंडित नेहरू व Congress पर दलितों की अनदेखी के आरोप लगाए थे? बाबा साहब की विरासत को लेकर छिड़ी जंग में पार्टी कितनी आगे? क्या कांग्रेस के लिए चुनौतियों से पार पाना आसान होगा?

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BR Ambedkar
डॉ. बीआर अंबेडकर और पूर्व पीएम पंडित जवाहर लाल नेहरू (सांकेतिक तस्वीर)

BR Ambedkar: वर्तमान में किसी भी विषय पर शुरू हुई चर्चा आपको अतीत में जाने पर मजबूर करती है। अतीत के सहारे मामले की तहकीकात कर एक निष्कर्ष निकाला जाता है। आज जब बाबा साहब डॉ भीमराव अंबेडकर (BR Ambedkar) को लेकर सियासी जंग छिड़ी है तो देश के दो राजनीतिक प्रमुख रूप से आमने-सामने हैं। बीजेपी (BJP) और कांग्रेस बीआर अंबेडकर की विरासत और उनके दिखाए मार्ग पर बढ़ने को आतुर हैं।

इसी कड़ी में गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) के बयान और राहुल गांधी, प्रियंका गांधी, अखिलेश यादव, लालू यादव समेत कई नेताओं के पलटवार को लेकर चर्चा है। बात अतीत की भी हो रही है और कुछ पुराने तथ्य खंगाले जा रहे हैं। डॉ अंबेडकर (Dr Ambedkar) द्वारा लिखित कुछ आरोप पत्रों के हवाले से पूछा जा रहा है कि क्या उन्होंने वास्तव में कांग्रेस (Congress) पर दलितों की अनदेखी के आरोप लगाए थे? बाबा साहब की विरासत को लेकर छिड़ी जंग में काग्रेस कितनी आगे है? इन सभी सवालों का जवाब देने की कोशिश की जाएगी।

क्या BR Ambedkar ने पूर्व पीएम पंडित नेहरू व Congress पर लगाए थे दलितों की अनदेखी के आरोप?

वरिष्ठ पत्रकार दिलीप मंडल के आधिकारिक एक्स हैंडल से एक पोस्ट किया गया है। वरिष्ठ पत्रकार डॉ अंबेडकर (BR Ambedkar) द्वारा लिखे गए एक आरोप पत्र का जिक्र कर रहे हैं। यह आरोप पत्र डॉ अंबेडकर के इस्तीफे के बयान से लिया गया है। इस आरोप पत्र का आशय है कि “पंडित नेहरू का पूरा समय और ध्यान मुसलमानों की सुरक्षा के लिए समर्पित है। मैं सोच रहा हूं कि क्या भारत में अनुसूचित जातियों की स्थिति के समान दुनिया में कोई अन्य समानता है। मुझे कोई नहीं मिला और फिर अनुसूचित जाति को कोई राहत क्यों नहीं दी जाती है। मुसलमानों की सुरक्षा को लेकर सरकार जो चिंता दिखाती है, उसकी तुलना करें। प्रधानमंत्री का पूरा समय और ध्यान मुसलमानों की सुरक्षा के लिए समर्पित है।

डॉ अंबेडकर आगे लिखते हैं कि “मैं भारत के मुसलमानों को जब भी और जहां भी जरूरत हो, उन्हें अधिकतम सुरक्षा देने की अपनी इच्छा में किसी के सामने नहीं झुकता, यहां तक ​​कि प्रधानमंत्री के सामने भी नहीं। लेकिन मैं यह जानना चाहता हूं कि क्या केवल मुसलमान ही ऐसे लोग हैं जिन्हें सुरक्षा की ज़रूरत है? क्या अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और भारतीय ईसाइयों को सुरक्षा की आवश्यकता नहीं है? उन्होंने इन समुदायों के लिए क्या चिंता दिखाई है? जहाँ तक मुझे पता है, कोई नहीं। और फिर भी, ये वे समुदाय हैं जिन्हें मुसलमानों की तुलना में कहीं अधिक देखभाल और ध्यान देने की आवश्यकता है।”

बाबा साहब के इस आरोप पत्र को पहली बार 14 अप्रैल 1979 को महाराष्ट्र सरकार द्वारा प्रकाशित किया गया था। इसके द्वारा ये आरोप पत्र डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर: लेखन और भाषण, खंड 14, भाग 2, पृष्ठ 1317-1327 में प्रलेखित है।

बाबा साहब की विरासत पर छिड़ी जंग में पार्टी कितनी आगे?

वर्तमान की बात करें तो बाबा साहब की विरासत को लेकर छिड़ी जंग में बीजेपी, कांग्रेस आमने-सामने है। दोनों एक-दूसरे पर खूब आरोप-प्रत्यारोप लगा रहे हैं। पर तथ्य क्या है सबकी निगाहें इस पर हैं। बता दें कि डॉ भीमराव अंबेडकर ने पूर्व में नेहरू कैबिनेट से यह कहते हुए इस्तीफा दिया था कि ‘कांग्रेस दलितों के अधिकारों के प्रति गंभीर नहीं थी।’ अंबेडकर और तत्कालीन सरकार के बीच हिंदू कोड बिल को लेकर पर्याप्त मतभेद थे। डॉ अंबेडकर जब उत्तर मध्य निर्वाचन क्षेत्र और 1954 में बंबई की भंडारा सीट से उपचुनाव लड़े, तो इन दोनों चुनाव में तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने उनके खिलाफ चुनाव प्रचार भी किया था। इन दोनों चुनाव में भारत रत्न डॉ अंबेडकर को कांग्रेस उम्मीदवार ने हराया था।

तथ्यों और बाबा साहब के कथन के लिहाज से देखें तो पूर्व पीएम पंडित नेहरू के नेतृत्व वाली कांग्रेस (Congress) पर दलितों की अवहेलना के आरोप लगे हैं। हालांकि, अब स्थिति अलग है। अब कांग्रेस दलितों की चिंतक और ‘बाबा साहब’ की अनुयायी बन कर रण में है। कांग्रेस वर्तमान में अमित शाह के इस्तीफे की मांग कर रही है और उन पर बाबा साहब का अपमान करने का आरोप लगा रही है। हालांकि, तथ्य कुछ और बयां कर रहे हैं जिसके कारण कांग्रेस डॉ अंबेडकर की विरासत को लेकर छिड़ी इस जंग में पिछड़ती नजर आ रही है। हालांकि, राहुल गांधी व अन्य विपक्षी नेताओं के नेतृत्व में पार्टी मजबूती के साथ डॉ अंबेडकर के विचारों पर आगे बढ़ने की कोशिश में है, लेकिन अतीत से पीछा छुड़ा पाना पार्टी के लिए बड़ी चुनौती है। ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि निकट भविष्य में कांग्रेस का कदम क्या होगा।

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