Dr Nitya Anand: केंद्रीय औषधि अनुसंधान संस्थान (CDRI) लखनऊ के पूर्व निदेशक व पहली गर्भ निरोधक गोली ‘सहेली’ के खोजकर्ता डॉ. नित्या आनंद (Dr Nitya Anand) नहीं रहे। उन्होंने इलाज के दौरान करीब 99 वर्ष की उम्र में लखनऊ के पीजीआई अस्पताल में अंतिम सांस ली है। उनके निधन से लखनऊ के साथ देश के विभिन्न चिकित्सकिय संस्थानों में शोक की लहर दौड़ पड़ी है।
अस्पताल प्रशासन द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार डॉ. नित्या आनंद को स्वास्थ्य संबंधी गंभीर दिक्कतों के बाद 29 नवंबर 2023 को पीजीआई अस्पताल में भर्ती किया गया था। पीजीआई के वरिष्ठ डॉक्टर्स की देख-रेख में उनका इलाज चल रहा था। हालाकि तमाम प्रयासों के बावजूद उन्हें नहीं बचाया जा सका और सैप्टिक शॉक की वजह से उनका निधन हो गया। बता दें कि औषधि रिसर्च व विज्ञान जगत में उनके ऐतिहासिक योगदान के चलते उन्हें भारत सरकार द्वारा वर्ष 2012 में पद्मश्री सम्मान से विभूषित किया गया था।
Dr Nitya Anand का निधन
महान वैज्ञानिक व चिकित्सा के क्षेत्र में विशेष योदगान देने वाले डॉ. नित्या आनंद (Dr Nitya Anand) अब हमारे बीच नहीं रहे। उन्होंने शनिवार के दिन लखनऊ के पीजीआई अस्पताल में अंतिम सांस ली है। डॉक्टर्स द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार डॉ. नित्या आनंद को स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतों के कारण 29 नवंबर 2023 को पीजीआई अस्पताल में भर्ती किया गया था। इसके बाद फिर इन्फेक्शन बढ़ने के साथ उन्हें वेंटिलेटर सपोर्ट भी दिया गया था। हालाकि उनकी स्वास्थ्य में सुधार नहीं हो सका और करीब 99 वर्ष की उम्र में उनका निधन हो गया।
Dr Nitya Anand का परिचय
डॉ. नित्या आनंद (Dr Nitya Anand) का जन्म 1 जनवरी, 1925 को पश्चिमी पंजाब के लायलपुर में हुआ था। उन्होंने अपनी प्राथमिक शिक्षा धनपतमल एंग्लो-संस्कृत हाई स्कूल व इंटरमीडिएट गवर्नमेंट इंटर कॉलेज से पूरा किया था। इसके बाद बीएससी की परीक्षा उत्तीर्ण कर वे दिल्ली आ गए। दिल्ली आने के बाद उन्होंने 1948 में पीएचडी की डिग्री हासिल की और देश लौटे। उन्होंने मार्च 1951 में CDRI लखनऊ जॉइन किया जिसमें वो 1974 से 1984 तक CDRI के निदेशक भी रहे।
डॉ. नित्या आनंद का नाम देश के टॉप ड्रग रिसर्च साइंटिस्ट में मशहूर रहा है। उन्होंने दुनिया की पहली नॉन स्टेरॉयड कंट्रासेप्टिव पिल (सहेली) बनाने में भी अहम भूमिका निभाई थी। इसके अतिरिक्त डॉ. आनंद को मलेरिया, कुष्ठ रोग और TB जैसे गंभीर रोगों के इलाज में सहायक ड्रग की खोज करने के लिए भी जाना जाता है। भारत सरकार द्वारा उन्हें वर्ष 2012 में पद्मश्री सम्मान से नवाजा गया था।
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