Electoral Bonds Data: सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्टोरल बॉन्ड पर सुनवाई करते हुए बांड की विशिष्ट संख्या का खुलासा न करने के सवाल पर भारतीय स्टेट बैंक को नोटिस जारी करते हुए अपने पास संग्रहीत Electoral Bonds Data को भारत के चुनाव आयोग को वापस करने की अनुमति दी। आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि शीर्ष अदालत के रजिस्ट्रार ज्यूडिशियल यह सुनिश्चित करें कि दस्तावेजों को स्कैन और डिजिटल किया जाए और एक बार प्रक्रिया पूरी होने के बाद मूल दस्तावेजों को ईसीआई को वापस दे दिया जाएगा और वह इसे 17 मार्च को या उससे पहले वेबसाइट पर अपलोड कर देगा।
चुनाव आयोग ने इलेक्टोरल बॉन्ड डेटा किया जारी
आपको बता दें कि चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित समय सीमा के अनुपालन में एसबीआई से प्राप्त इलेक्टोरल बॉन्ड की जानकारी अपने वेबसाइट पर साझा कर दी है। गौरतलब है कि जानकारी में चुनावी बांड के कई उल्लेखनीय खरीदारों का पता चला है, जिसके बाद से ही आरोप प्रत्यारोप का भी दौर शुरू हो गया है।
कपिल सिब्बल ने क्या है?
एक मीडिया इंटरव्यू के दौरान कपिल सिब्बल ने कहा कि जैसा कि 2जी मामले में किया गया था, जहां एक एसआईटी बनाई गई थी, इस मामले में भी मामले की जांच के लिए एक एसआईटी गठित की जानी चाहिए। हमें देखना होगा कि कानून अब इसे कैसे देखता है। यह भी पता लगाना चाहिए कि कौन है PM-CARES में दान दिया। यह जांच का विषय है कि किस पार्टी को कितना फंड मिला।”
प्रशांत भूषण ने इलेक्टोरल बॉन्ड पर उठाया सवाल
प्रशांत भूषण ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर लिखा कि 11 अप्रैल 23 को मेघा इंजीनियरिंग Electoral Bonds में 100 करोड़ किसे देती है? लेकिन एक महीने के भीतर ही उसे बीजेपी की महाराष्ट्र सरकार से 14,400 करोड़ का ठेका मिल जाता है! हालांकि एसबीआई ने बॉन्ड नंबरों को जानकारी से छिपा दिया है, लेकिन कुछ दानदाताओं और पार्टियों के मिलान का अनुमान लगाया जा सकता है। अधिकांश दान प्रतिदान स्वरूप प्रतीत होते हैं”।
प्रियंका चतुवेर्दी ने बीजेपी पर साधा निशाना
प्रियंका चतुवेर्दी, प्रवक्ता, शिव सेना (यूबीटी), ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर लिखा एक चंदा एक पार्टी इसके अलावा एक एक डेटा भी शेयर किया।
असदुद्दीन ओवैसी ने कहा इसकी जांच होनी चाहिए
एआईएमआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर लिखा कि निर्वाचन आयोग का डाटा बताता है कि भाजपा को गुप्त इलेक्टोरल बॉन्डस के ज़रिए कितने पैसे मिले थे। कागज़ तो दिखाना पड़ गया। सवाल ये है कि अगर भाजपा के पास इतने पैसे हैं तो फिर उनके ट्रॉल्स को 2014 से ₹2 ही क्यों मिल रहे हैं? इसकी जांच होनी चाहिए।