Monday, December 23, 2024
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Electoral Bonds Data: इलेक्टोरल बॉन्ड मामले में सुप्रीम कोर्ट ने एसबीआई को लगाई फटाकर, जानें किन पार्टियों को मिला कितना चंदा; बांड खरीदने वाली टॉप-20 कंपनियां

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क्या है चुनावी बांड

2017 में पेश किए गए, चुनावी बांड ने व्यक्तियों और कॉर्पोरेट समूहों को गुमनाम रूप से किसी भी राजनीतिक दल को असीमित मात्रा में धन दान करने की अनुमति दी। चुनावी बांड योजना के तहत, दानदाताओं द्वारा एसबीआई से निश्चित मूल्यवर्ग में चुनावी बांड खरीदे जाते थे और किसी भी राजनीतिक दल को सौंप दिए जाते थे जो उन्हें भुना सकता था। बांड के लिए लाभार्थी राजनीतिक दलों को किसी को भी, यहां तक ​​कि भारत के चुनाव आयोग (ईसीआई) को भी दानकर्ता का नाम बताने की आवश्यकता नहीं थी।

सुप्रीम कोर्ट ने रदद किया था चुनावी बांड

इस साल अप्रैल-मई में होने वाले लोकसभा चुनावों से कुछ हफ्ते पहले, फरवरी के मध्य में सात साल पुरानी चुनावी फंडिंग प्रणाली को खत्म करने का सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला सुनाया। वहीं सुप्रीम कोर्ट ने एसबीआई को निर्देश भी दिया कि चुनावी बांड की सारी जानकारी चुनाव आयोग को दी जाए।

सुप्रीम कोर्ट ने एसबीआई को जारी किया नोटिस

बता दें कि Electoral Bonds Data मामले में सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने एसबीआई को फटकार लगाते हुए उसको नोटिस जारी कर दिया और 18 मार्च को जवाब मांगा है। दरअसल अदालत ने बैंक से पूछा कि बॉन्ड नंबरों का खुलासा क्यों नहीं किया गया। बैंक ने अल्फा न्यूमिरिक नंबर क्यों नहीं बताया। अदालत ने एसबीआई को बॉन्ड नंबर का खुलासा करने का आदेश दिया है। इसके अलावा आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि शीर्ष अदालत के रजिस्ट्रार ज्यूडिशियल यह सुनिश्चित करें कि दस्तावेजों को स्कैन और डिजिटल किया जाए और एक बार प्रक्रिया पूरी होने के बाद मूल दस्तावेजों को ईसीआई को वापस दे दिया जाएगा और वह इसे 17 मार्च को या उससे पहले वेबसाइट पर अपलोड कर देगा।

चुनाव आयोग ने इलेक्टोरल बॉन्ड का डेटा किया जारी

आपको बता दें कि चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित समय सीमा के अनुपालन में एसबीआई से प्राप्त इलेक्टोरल बॉन्ड की जानकारी अपने वेबसाइट पर साझा कर दी है। गौरतलब है कि जानकारी में चुनावी बांड के कई उल्लेखनीय खरीदारों का पता चला है, जिसके बाद से ही आरोप प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है।

इन पार्टियों को मिला इतना चंदा

चुनाव आयोग द्वारा जारी किए गए डाटा के अनुसार

●भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी)- 6,000 करोड़ रूपये से अधिक

●ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी)- 1,610 करोड़ रूपये

●सोनिया गांधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस- 1,422 करोड़ रूपये

●के चन्द्रशेखर राव के नेतृत्व वाली भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस)- 1215 करोड़ रूपये

●नवीन पटनायक के नेतृत्व वाली भाजपा- 776 करोड़ रूपये

Electoral Bonds Data: बांड खरीदने वाली टॉप-20 कंपनियां

भारत निर्वाचन आयोग की वेबसाइट के अनुसार, शीर्ष 20 दानकर्ता हैं-

●फ्यूचर गेमिंग एंड होटल सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड – 1,368 करोड़ रूपये

●मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर- 966 करोड़ रूपये

●क्विक सप्लाई चियान प्राइवेट लिमिटेड- 410 करोड़ रूपये

●हल्दिया एनर्जी लिमिटेड- 377 करोड़ रूपये

●वेदांता लिमिटेड: 376 करोड़ रूपये

●एस्सेल माइनिंग एंड इंडस्ट्रीज लिमिटेड- 225 करोड़ रूपये

●पश्चिमी यूपी पावर ट्रांसमिशन- 220 करोड़ रूपये

●भारती एयरटेल लिमिटेड- 198 करोड़ रूपये

●केवेंटर फूड पार्क इंफ्रा लिमिटेड- 195 करोड़ रूपये

●एमकेजे एंटरप्राइजेज लिमिटेड-192 करोड़ रूपये

●मदनलाल लिमिटेड- 186 करोड़ रूपये

●यशोदा सुपर स्पेशलिटी अस्पताल-162 करोड़

●उत्कल एलुमिना इंटरनेशनल लिमिटेड- 145 करोड़ रूपये

●डीएलएफ कमर्शियल डेवलपर्स लिमिटेड: 130 करोड़ रूपये

●जिंदल स्टील एंड पावर लिमिटेड- 123 करोड़ रूपये

●बीजी शिर्के कंस्ट्रक्शन टेक्नोलॉजी प्राइवेट लिमिटेड- 119 करोड़ रूपये

●धारीवाल इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड- 115 करोड़ रूपये

●अवीस ट्रेडिंग फाइनेंस प्राइवेट लिमिटेड- 113 करोड़ रूपये

●टोरेंट पावर लिमिटेड- 107 करोड़ रूपये

●बिड़ला कार्बन इंडिया प्राइवेट लिमिटेड- 105 करोड़ रूपये

विपक्ष ने बीजेपी पर किया कटाक्ष

प्रशांत भूषण ने इलेक्टोरल बॉन्ड पर उठाया सवाल

प्रशांत भूषण ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर लिखा कि 11 अप्रैल 23 को मेघा इंजीनियरिंग Electoral Bonds में 100 करोड़ किसे देती है? लेकिन एक महीने के भीतर ही उसे बीजेपी की महाराष्ट्र सरकार से 14,400 करोड़ का ठेका मिल जाता है! हालांकि एसबीआई ने बॉन्ड नंबरों को जानकारी से छिपा दिया है, लेकिन कुछ दानदाताओं और पार्टियों के मिलान का अनुमान लगाया जा सकता है। अधिकांश दान प्रतिदान स्वरूप प्रतीत होते हैं”।

प्रियंका चतुवेर्दी ने बीजेपी पर साधा निशाना

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असदुद्दीन ओवैसी ने कहा इसकी जांच होनी चाहिए

एआईएमआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर लिखा कि निर्वाचन आयोग का डाटा बताता है कि भाजपा को गुप्त इलेक्टोरल बॉन्डस के ज़रिए कितने पैसे मिले थे। कागज़ तो दिखाना पड़ गया। सवाल ये है कि अगर भाजपा के पास इतने पैसे हैं तो फिर उनके ट्रॉल्स को 2014 से ₹2 ही क्यों मिल रहे हैं? इसकी जांच होनी चाहिए।

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