Electricity Bill: उत्तराखंड में बिजली बिलों में बड़ा बदलाव हुआ है। सेंट्रल जोन के कार्यकारी अभियंता गौरव सकलानी ने बताया कि सिक्योरिटी राशि उपभोक्ता की बिजली खपत के आधार पर तय की जाती है। कनेक्शन बंद करने पर उपभोक्ताओं को पूरी सिक्योरिटी राशि वापस कर दी जाती है। साथ ही इसका भुगतान ब्याज सहित किया जाता है। जिनका बिल पहले से जमा सिक्योरिटी डिपॉजिट से कम होता है, उनका बिल डिपॉजिट में जोड़कर कम कर दिया जाता है।
उत्तराखंड में इस महीने से बिजली दरों में 6.92 फीसदी की बढ़ोतरी की गई है। जिसे लेकर उपभोक्ता और विपक्षी राजनीतिक दल लगातार विरोध कर रहे हैं। इस बीच अप्रैल के बिल में अतिरिक्त सिक्योरिटी डिपॉजिट जुड़ने से उपभोक्ताओं की बेचैनी बढ़ गई है। दरअसल, पहले एएसडी साल में सिर्फ एक बार ही इकट्ठा किया जाता था।
अधिक उपयोग पर देना होगा अतिरिक्त सिक्योरिटी डिपॉजिट
यदि उपभोक्ता का बिजली उपयोग सुरक्षा जमा से अधिक हो तो उसकी अतिरिक्त सुरक्षा जमा राशि की आवश्यकता होती है। बिल उन ग्राहकों को वितरित किया जाता है जिनकी बिजली की खपत उस कटौती के बाद सुरक्षा जमा से कम है। जहां बिजली बिल तैयार करने और ग्राहकों तक पहुंचाने में दो से सात दिन लगते हैं, वहीं बिल चक्र तीस दिन का होता है। ग्राहकों के पास बिजली बिल भरने के लिए सात से पंद्रह दिन का समय होता है। उस स्थिति में, ग्राहक तब तक 45 दिनों तक बिजली का उपयोग कर चुका होगा। इस परिदृश्य में अत्यधिक बिजली उपयोग के लिए ASD का अतिरिक्त बिल लिया जाता है।
विभाग ने उपयोगकर्ताओं को भेजा नोटिस
सिक्योरिटी मनी नहीं देने वालों को ऊर्जा निगम की ओर से नोटिस भी भेजे गए। हालांकि बड़ी रकम होने के कारण आम उपभोक्ता के लिए वित्तीय वर्ष के अंत में एकमुश्त भुगतान करना संभव नहीं था और ऊर्जा निगम को बड़ी रकम वसूलने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ी।