Farmer Protest: आज से शुरू होने वाले किसानों के ‘दिल्ली चलो’ विरोध प्रदर्शन को देखते हुए दिल्ली की सीमाओं और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में कड़े सुरक्षा के उपाय किए गए हैं। किसी भी अप्रिय घटना से बचने और कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए उत्तर प्रदेश की सीमाओं पर आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 144 लागू कर दी गई है। बता दें कि 200 से ज्यादा किसान संगठनों ने 13 फरवरी 2024 यानि आज दिल्ली कूच का ऐलान किया है। उनकी मांगें पूरी होने तक दिल्ली की सीमा पर बैठने की संभावना है।
किसान संगठनों और सरकार के बीच बातचीत विफल
बता दें कि किसान नेताओं और केंद्रीय मंत्रियों के बीच एक महत्वपूर्ण बैठक सोमवार देर रात बिना किसी समाधान के समाप्त हो गई, जिसके बाद किसानों ने आज अपने ‘दिल्ली चलो’ विरोध को आगे बढ़ाया। घंटों की बातचीत के बावजूद, दोनों पक्ष प्रमुख मांगों पर किसी समझौते पर पहुंचने में विफल रहे। हालांकि, सरकार ने कहा कि अधिकांश मुद्दों पर सहमति बन गई है और एक समिति के गठन के माध्यम से कुछ अन्य को हल करने का एक फॉर्मूला प्रस्तावित किया गया है।
2020-21 के Farmer Protest से कितना अलग है इस बार का आंदोलन
●बता दें कि किसान आंदोलन 2020 को दो प्रमुख नेता राकेश टिकैट और गुरनाम सिंह चारूनी थे। लेकिन वह इस बार कहीं नजर नही आ रहे है। गौरतलब है कि इस Farmer Protest में एसकेएम (गैर राजनीतिक) के नेता जगजीत सिंह दल्लेवाल और सरवन सिंह पंधेर अब सबसे आगे है।
●2020 में किसानों ने नए कृषि कानूनों का विरोध किया था। उसके विरोध में कई किसान संगठनों ने दिल्ली की सीमाओं पर एक साल तक प्रदर्शन किया था। आखिरकार सरकार को झुकना पड़ा था। किसान विरोध का नेतृत्व विभिन्न यूनियनों द्वारा किया जा रहा है क्योंकि पिछले कुछ वर्षों में किसान यूनियनों के नेतृत्व में बदलाव हुए हैं।
सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम
किसानों के राजधानी आने के ऐलान को देखते हुए पंजाब, हरियाणा और दिल्ली की सीमा पर बड़ी संख्या में बैरिकेडिंग लगाई गई है। दिल्ली की ओर आती मुख्य सड़कों पर भी कंटेनर, बसें और क्रेन लगाई गई हैं, कुछ जगहों पर सीमेंट की बैरिकेडिंग भी हैं। 2020 में हुए Farmer Protest में भी ऐसी बैरिकेडिंग देखने को मिली थी। दिल्ली पुलिस ने एक महीने के लिए धारा 144 लगा दी है। पुलिस ने कहा है प्रदर्शनकारी ट्रैक्टर ट्रॉली का इस्तेमाल कर सकते हैं जिससे अन्य वाहन चालकों को असुविधा हो सकती है। इसे देखते हुए नई दिल्ली में ट्रैक्टरों के चलने पर बैन लगा दिया गया है।
किसान क्यों कर रहे है विरोध?
किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी देने वाले कानून की मांग कर रहे हैं, जो उन शर्तों में से एक है जो उन्होंने तब निर्धारित की थी जब वे 2021 में निरस्त किए गए कृषि कानूनों के खिलाफ अपना Farmer Protest वापस लेने पर सहमत हुए थे। 2020 में पंजाब और अंबाला के आसपास के इलाकों से बड़ी संख्या में किसान शंभू सीमा पर एकत्र हुए और दिल्ली की ओर मार्च करने के लिए पुलिस अवरोधकों को तोड़ दिया था। बता दें कि इस आंदोलन में सरकार को भारी नुकसान हुआ था।
क्या है किसानों की मांग?
●सभी किसान नेता न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कानून बनाने की मांग कर रहे है।
●साल 2020-21 के किसान आंदोलन में जिन किसानों पर मुकदमा दर्ज किया गया था उन्हें वापस लिया जाए।
●किसान नेता चाहते है कि लखीमपुर खीरी हिंसा के पीड़ितों को केंद्र सरकार न्याय दे और परिवार के एक सदस्य को नौकरी दी जाए।
●किसान नेता चाहते है कि लखीमपुर खीरी हिंसा में दोषियों पर कड़ी कार्रवाई कर उन्हें सलाखों के पीछे भेजने की मांग कर रहे है।
●दिल्ली कूच करने वाले किसान नेताओं की इस बार सरकार से मांग है कि वह सभी किसानों का सरकारी और गैर सरकारी कर्ज माफ करें।
●किसानों और खेत मजदूरों को पेंशन दी जाए।
●किसानों को प्रदूषण कानून से बाहर रखा जाए।
●कृषि वस्तुओं, दूध उत्पादों, फल और सब्जियों और मांस पर आयात शुल्क कम करने के लिए भत्ता बढ़ाया जाए।
अब देखना दिलचस्प होगा कि किसान आंदोलन को देखते हुए सरकार का अगला कदम क्या होता है।