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Ashok Tanwar की Congress वापसी से क्या बेअसर होगा Kumari Selja से जुड़ा मुद्दा? जानें Bhupinder Hooda को कैसे हो सकता है फायदा?

Ashok Tanwar: क्या अशोक तंवर की Congress वापसी से Kumari Selja से जुड़ा मुद्दा सुलझ सकता है और इससे Bhupinder Hooda को फायदा हो सकता है?

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Ashok Tanwar
फाइल फोटो- कुमारी शैलजा, अशोक तंवर, भूपेन्द्र सिंह हुड्डा

Ashok Tanwar: हरियाणा विधानसभा चुनाव से ठीक पहले सूबे की सियासत में एक बड़ा राजनीतिक घटनाक्रम देखने को मिला है। बीते दिन राहुल गांधी (Rahul Gandhi)और तमाम शीर्ष नेताओं की उपस्थिति में अशोक तंवर ने बीजेपी की सदस्यता छोड़ कांग्रेस का दामन थम लिया। अशोक तंवर (Ashok Tanwar) के इस कदम से राज्य का सियासी पारा तेजी से चढ़ता नजर आ रहा है। अशोक तंवर 5 वर्ष बाद एक बार फिर कांग्रेस के सदस्य बन चुके। चुनावी (Haryana Assembly Election 2024) दौर के बीच उनकी कांग्रेस वापसी को लेकर कई सारे सवाल पूछे जा रहे हैं।

अशोक तंवर की कांग्रेस वापसी पर लोगों के मन में सवाल उठ रहा है कि क्या Ashok Tanwar की Congress वापसी से कुमारी शैलजा (Kumari Selja) की अनदेखी से जुड़ा मुद्दा बेहअसर होगा? क्या अशोक तंवर के इस कदम से पूर्व सीएम भूपेन्द्र सिंह हुड्डा (Bhupinder Hooda) को फायदा हो सकता है? ऐसे में आइए हम आपको इस तरह के सभी सवालों के जवाब देने के साथ हरियाणा की वर्तमान राजनीतिक घटनाक्रम के बारे में विस्तार से बताते हैं।

क्या Ashok Tanwar की Congress वापसी से बेअसर होगा Kumari Selja मुद्दा?

हरियाणा विधानसभा चुनाव के दौरान कुमारी शैलजा की अनदेखी से जुड़ा मुद्दा कांग्रेस के लिए गले की हड्डी बनता नजर आया। सिरसा (Sirsa) से सांसद चुनी गईं कुमारी शैलजा खुद भी कई साक्षात्कार के दौरान अप्रत्यक्ष रूप से चुनावी दौर में उनकी अनदेखी की बात कह चुकी हैं। ऐसे में सवाल ये है कि क्या अशोक तंवर की कांग्रेस वापसी से कुमारी शैलजा (Kumari Selja) की अनदेखी से जुड़ा मुद्दा बेहअसर होगा?

बता दें कि अशोक तंवर (Ashok Tanwar) खुद भी दलित समुदाय से आते हैं और पूर्व में हरियाणा के प्रदेश अध्यक्ष रहे हैं। दलित समुदाय के बीच उनकी अच्छी पैठ मानी जाती है। ऐसे में दावा किया जा रहा है कि उनकी कांग्रेस वापसी से कुमारी शैलजा फैक्टर को न्यूट्रल किया जा सकता है और इसका लाभ पार्टी को मिल सकता है।

Bhupinder Singh Hooda को कैसे हो सकता है फायदा?

हरियाणा कांग्रेस की कमान अभी पूरी तरह से पूर्व सीएम भूपेन्द्र सिंह हुड्डा (Bhupinder Singh Hooda) के हाथों में है। इसका अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि हरियाणा की 90 विधानसभा सीटों में 70 से ज्यादा सीटों पर हुड्डा के पसंदीदा चेहरों को चुनावी मैदान में उतारा गया है। यही वजह है कि कुमारी शैलजा (Kumari Selja) ने सार्वजनिक रूप से नाराज़गी भी जाहिर की। हालाकि पार्टी हाईकमान ने बीच-बचाव को मामले को नियंत्रित किया। इस दौरान हरियाणा कांग्रेस पर दलितों की अनदेखी से जुड़े आरोप भी लगे।

हालाकि अब विधानसभा चुनाव (Haryana Assembly Election 2024) से ठीक पहले अशोक तंवर (Ashok Tanwar) की कांग्रेस वापस भूपेन्द्र सिंह हुड्डा को बल देती नजर आ रही है। दावा किया जा रहा है कि कांग्रेस के इस कदम से कुमारी शैलजा की अनदेखी से जुड़ा मुद्दा न्यूट्रलाइज हो सकेगा और इसका लाभ कांग्रेस (Congress) पार्टी और भूपेन्द्र सिंह हुड्डा को ‘विजयश्री’ के रूप में मिल सकता है।

Haryana Assembly Election 2024 में क्यों हावी रहा कुमारी शैलजा फैक्टर?

हरियाणा विधानसभा चुनाव (Haryana Assembly Election 2024) के दौरान कुमारी शैलजा फैक्टर राज्य में खूब हावी नजर आया। दरअसल सिरसा से सांसद चुनी गईं कुमारी शैलजा ने विधानसभा चुनाव लड़ने की इच्छा जताई थी। हालाकि कांग्रेस (Congress) प्रभारी दीपक बाबरिया ने उनको इस इच्छा पर हाईकमान से बात करने की सलाह दे दी। इसके बाद टिकट बंटवारे में भी शैलजा (Kumari Selja) की नहीं चली और 90 में से 70 से ज्यादा सीटों पर भूपेन्द्र सिंह हुड्डा के पसंदीदा चेहरों को कांग्रेस ने उम्मीदवार बनाया।

BJP ने इस मुद्दे को लपक लिया और हरियाणा में ज्यादातर जनसभाओं को संबोधित करते हुए पार्टी के शीर्ष नेताओं ने कांग्रेस पर निशाना साधा। पूर्व सीएम मनोहर लाल खट्टर ने यहां तक अप्रत्यक्ष रूप से कुमारी शैलजा को BJP में आने तक का न्योता दे दिया। हालाकि शैलजा इन तमाम कोशिशों के बाद कांग्रेस में जमी रहीं और तमाम नाराजगी के बीच अंतत: पार्टी के उम्मीदवारों के लिए प्रचार-प्रसार की जिम्मेदारी ली। हालाकि अब अशोक तंवर (Ashok Tanwar) की वापसी से कुमारी शैलजा की अनदेखी से जुड़ा मुद्दा सुलझता नजर आ रहा है और इसे बीजेपी के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है।

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