Himachal: हिमाचल प्रदेश सरकार ने नकल पर बड़ा कदम उठा लिया है। इस संबंध में राज्य सरकार के मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना ने एक कठोर नकल विरोधी कानून की अधिसूचना जारी कर दी है। जिसमें हिमाचल प्रदेश लोक सेवा आयोग की तरफ से आयोजित होने वाली परीक्षाओं को भी दायरे में लाया गया है। इस कानून के मुताबिक अब अगर छात्र,परीक्षार्थी नकल करते पकड़ा गया तो अगले तीन साल तक कोई प्रतियोगी परीक्षा नहीं दे सकेगा साथ ही कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
जानें क्या है नकल विरोधी कानून की खास बात
हिमाचल की सुक्खू सरकार ने भर्ती परीक्षाओं में हो रही धांधलियों की शिकायतों के चलते हमीरपुर स्थित कर्मचारी चयन आयोग को भंग कर दिया था। इसके बाद इन अनियमितताओं पर लगाम लगाने के लिए राज्य सरकार ने एक कानून को राज्य के मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना के माध्यम से एक कानून को नोटीफाई कर दिया है। इसके साथ ही हिमाचल प्रदेश लोक सेवा आयोग के तहत आने वाली परीक्षाओं को भी इस कानूनी दायरे में लाया गया है ताकि आगे होने वाली राज्य भर्तियों में योग्य उम्मीदवारों का पारदर्शिता तथा निष्पक्षता के साथ चयन किया जा सके। बता दें सिविल सेवा की नियुक्तियां करने के लिए परीक्षाएं आयोजित करता है।
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कांग्रेस सरकार ने है सख्त
हिमाचल की सीएम सुक्खू सरकार बढ़ती नकल की गतिविधियों से युवाओं में बढ़ रही नाराजगी को देखते हुए नकल के प्रति गंभीर हो गई है। इसीलिए सरकार इसके खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति अपनाने का फैसला कर रही है। इस महीने की शुरुआत में सीएम सुखविंदर सिंह मंत्रिमंडल की एक बैठक बुलाई। जिसमें राज्य लोक सेवा आयोग, माध्यमिक शिक्षा बोर्ड तथा हिमाचल प्रदेश यूनिवर्सिटी की परीक्षाओं में नकल को रोकने के लिए इन्हें कदाचार अधिनियम 1984 के अंतर्गत लाने का फैसला कर लिया है। उन्होंने शिक्षा विभाग के अधिकारियों तथा अन्य वरिष्ठ अधिकारियों को कड़े दिशा निर्देश देते हुए कहा कि किसी भी तरह की नकल गतिविधियों की शिकायत आने पर उससे सख्ती से निबटें।
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