Himachal Toilet Seat Tax: देवभूमि हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) में ‘टॉयलेट सीट टैक्स’ को लेकर सियासी घमासान मचा है। इस पूरे प्रकरण को लेकर लोगों के मन में कई तरह के सवाल उठ रहे हैं। जैसे कि क्या हिमाचल प्रदेश की कांग्रेस सरकार सचमुच ‘टॉयलेट टैक्स’ (Toilet Seat Tax) बटोरेगी? हिमाचल प्रदेश सरकार टॉयलेट सीट पर टैक्स (Himachal Toilet Seat Tax) क्यों लगाएगी? क्या ये नियम पूरे राज्य में लागू होगा? इस तरह के तमाम सवालों और विवादों के बीच ही राज्य सरकार की सफाई सामने आई है। ऐसे में आइए हम आपको हिमाचल की कांग्रेस (Congress) सरकार के स्टैंड के बारे में बताते हैं ताकि आपका भ्रम दूर हो सके।
Himachal Toilet Seat Tax विवाद के बीच Congress सरकार का पक्ष
हिमाचल में टॉयलेट सीट टैक्स विवाद के बीच राज्य सरकार ने अपना पक्ष जारी किया है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू (Sukhvinder Singh Sukhu) ने मीडिया से बात करते हुए इस तरह के तमाम दावों को गलत बताया है। उन्होंने BJP पर निशाना साधते हुए कहा है कि “यह तथ्यों से बहुत दूर की बात है। चूंकि हरियाणा में चुनाव हैं, इसलिए वे (भाजपा) हिंदू-मुस्लिम और सीवरेज की बात कर रहे हैं, जबकि ऐसा कुछ है ही नहीं।” मुख्यमंत्री के पक्ष से स्पष्ट हो गया है कि ‘टॉयलेट सीट टैक्स’ (Himachal Toilet Seat Tax) को लेकर चल रहे तमाम दावे भ्रामक हैं।
सोशल मीडिया पर जमकर प्रसारित हुई ‘टॉयलेट सीट टैक्स’ से जुड़ी खबर
सोशल मीडिया के अलग-अलग प्लेटफॉर्म पर बीते दिन से ‘टॉयलेट सीट टैक्स’ को लेकर खूब खबरें प्रसारित हो रही हैं। कई मीडिया आउटलेट्स ने भी इसे जुड़ीं खबरें प्रकाशित की हैं। दावा किया गया कि हिमाचल प्रदेश में अब घरों में स्थापित टॉयलेट सीटों की संख्या के आधार पर सीवरेज कनेक्शन दिए जाएंगे और हर महीने 25 रुपये सीवरेज टैक्स (Himachal Toilet Seat Tax) लिए जाएंगे। इसकी अधिसूचना जारी होने तक की बात कह दी गई। हालाकि अब राज्य के मुख्यमंत्री और जल शक्ति विभाग की ओर से स्पष्ट किया जा चुका है कि सीवरेज कनेक्शन पहले की भांति ही लोगों को मिलते रहेंगे और ‘टॉयलेट सीट टैक्स’ से जुड़े सभी दावे भ्रामक हैं।
सोशल मीडिया पर क्यों छिड़ी जंग?
हिमाचल प्रदेश में टॉयलेट सीट टैक्स (Himachal Toilet Seat Tax) को लेकर किए गए दावे से सोशल मीडिया के अलग-अलग प्लेटफॉर्म पर जंग छिड़ी नजर आई। ऐसा इसलिए भी हुआ क्योंकि लोगों को हिमाचल सरकार के वर्तमान वित्तीय संकट के बारे में बखूबी पता है। दरअसल हिमाचल में पिछले महीने राज्य कर्मचारियों का वेतन और पेंशनर्स की पेंशन तय समय से 5 दिन के बाद दी गई थी। इसके बाद मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने वित्तिय संकट को देखते हुए अगले दो महीनों तक अपना वेतन और भत्ता न लेने का ऐलान किया।
सीएम सुक्खू ने इसके अलावा अन्य मंत्रियों और विधायकों से भी अपील कर डाली कि वे अपनी स्वेच्छा से वेतन और अन्य भत्तों को छोड़ हिमाचल को वित्तिय संकट से उभरने में मदद करें। यही वजह है कि लोगों के ज़हन में ‘टॉयलेट सीट टैक्स’ की बात घर कर गई और उन्हें लगा कि सरकार ने वित्तिय संकट से उभरने के लिए ऐसा कदम उठाया होगा।