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Hindu Marriage Act: Court का शादी के बाद सम्बन्ध न बनाना है क्रूरता, कोर्ट का बड़ा फैसला

Hindu Marriage Ac
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Hindu Marriage Act: देखा जाए तो हिन्दू धर्म की मान्यता के अनुसार जोड़ी ऊपर (भगवान) से बनकर आती है और यह साथ जन्मों के लिए होती। कहावत तो यह भी है की शायद इसलिए ही हिन्दू रीति रिवाजों के अनुसार जब शादी के फेरे होते है तो उसकी भी संख्या सात ही होती है। ऐसे में आए दिन शादी का टूटना और कोर्ट में केस का पहुंचना इस बात का संकेत है, कि अब पहले जैसी बात नहीं रही है। दरअसल शादी के बाद पति और पत्नी के बीच सम्बन्ध को लेकर कर्नाटक हाई कोर्ट में महिला की तरफ से याचिका दायर की गई थी, जिसका फैसला अब कोर्ट ने सुनाया है। आइए आपको बताते है आखिरकार पूरा मामला क्या है ? 

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क्या है पूरा मामला ? 

दरअसल 18 दिसंबर 2019  एक जोड़े की शादी हुई थी, लेकिन शादी के 28 दिनों बाद ही पत्नी ने अपना ससुराल छोड़ दिया था। वजह साफ़ था पति की तरफ से शारीरिक सम्ब्नध न बनाना। बस इसी बात को लेकर पत्नी की ओर से 5 फरवरी 2020 में आईपीसी की धारा 498 ए और दहेज प्रतिषेध अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज कराया गया था, साथ ही उसने हिंदू मैरिज एक्ट का हवाला देते हुए शादी को रद्द करने की मांग भी की थी। जिसके बाद पति ने भी दहेज प्रतिषेध अधिनियम, 1961 की धारा 4 और आईपीसी की धारा 498 ए मुकदमे को जो पत्नी की तरफ से चार्जशीट लगाया गया था उसको कर्नाटक हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। जिसके बाद परिणाम यह निकला कि 16 नवंबर 2022 को दोनों के बीच तलाक हो गया था।

High Court के जज ने क्या कहा ?

बड़ी गंभीरता से मामले को सुनने और जानने के बाद जस्टिस एम नागप्रसन्ना ने कहा, “ महिला का पति कभी भी अपनी पत्नी के साथ शारीरिक संबंध बनाने का इरादा नहीं रखता था, जो निश्चित तौर पर हिंदू मैरिज एक्ट की धारा 12(1) के तहत क्रूरता की श्रेणी में आता है, लेकिन वही आईपीसी की धारा 498ए के तहत इसे परिभाषित क्रूरता की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता। उनके मुताबिक शिकायत और चार्जशीट में ऐसी कोई भी घटना या तथ्य नहीं हैं, जो इसे आईपीसी की धारा के तहत क्रूरता को साबित और परिभाषित कर सके।” वही जस्टिस एम नाग प्रसन्ना ने बताया कि “याचिकाकर्ता के खिलाफ केवल यह आरोप था कि वो किसी आध्यात्मिक विचार को मानने वाला है और मानता है कि प्यार कभी शारीरिक संबंध पर नहीं होता, ये आत्मा से आत्मा का मिलन होना चाहिए। ”

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