Bihar Caste Census: पटना HC ने जनगणना से जुड़ी याचिकाओं को खारिज करते हुए नीतीश सरकार को बड़ी राहत दी है। जाति आधारित गणना और आर्थिक सर्वे को लेकर दाखिल याचिका को HC ने खारिज कर दिया है। इसके साथ ही बिहार में एक बार फिर से जाति आधारित जनगणना का रास्ता साफ हो गया है।
याचिकाकर्ता SC में करेंगे अपील
वहीं याचिकाकर्ता के वकील दीनू कुमार ने कहा कि HC के फैसले के बाद बिहार में जातिगत जनगणना का रास्ता भले ही साफ हो गया हो पर हम फैसले को SC में चुनौती देंगे। वकील दीनू कुमार ने कहा कि पहले कोर्ट ने साफ तौर पर कहा था कि जाति आधारित जनगणना कराने का अधिकार राज्य के पास नहीं होता है बल्कि ये अधिकार केंद्र सरकार का है ।
HC ने खारिज की सारी याचिकाएं
जनगणना से जुड़ी याचिका पर सुनवाई जुलाई में ही पूरी हो चुकी थी । मामले से जुड़ी याचिकाओं पर चीफ जस्टिस केवी चंद्रन की खंडपीठ लगातार पांच दिनों तक सुनवाई की थी। सुनवाई पूरी होने के बाद HC ने आखिरकार फैसला सुनाया । दरअसल बिहार में सात जनवरी 2023 से जातीय जनगणना का काम शुरू किया गया था। वहीं याचिकाकर्ता ने जातीय जनगणना पर रोक लगाने को लेकर HC में याचिका दाखिल की थी । HC ने अंतरिम आदेश देते हुए नीतीश सरकार की ओर से कराई जारी जनगणना पर चार मई को रोक लगा दी थी।
HC का मामले को लेकर सवाल
कोर्ट ने मामले को लेकर कई सवाल खड़े किए थे। मसलन जातियों के आधार पर गणना और आर्थिक सर्वेक्षण कराना क्या कानूनी बाध्यता है? साथ ही कोर्ट ने ये भी पूछा था कि क्या ये राज्य सरकार के अधिकार में है और क्या गणना से निजता का उल्लंघन होगा ?
दरअसल नीतीश सरकार ने खास तौर से कास्ट सर्वे का फैसला लिया था। मामले को लेकर बिहार सरकार ने केंद्र से जातीय आधारित जनगणा कराने की अपील भी की थी। केंद्र सरकार के पहल नहीं करने के बाद प्रदेश सरकार ने अपने स्तर पर जनगणना कराने का फैसला लिया।
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