Independence Day 2023: देश में इन दिनों स्वतंत्रता दिवस को लेकर तैयारियां जोरों पर हैं। ऐसे में हर तरफ खुशनुमा माहौल नजर आ रहा है और लोग बढ़-चढ़कर इसमें अपनी देशभक्ति प्रकट करते हुए नजर आ रहे हैं। लोग देश के तिरंगा झंडा के फहराने को लेकर कभी-कभी अस्पष्ट नजर आते हैं या यूं कहें कि उन्हें इस बात का पता नहीं होता कि स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्रता दिवस पर भारतीय ध्वज को फहराने की परंपरा अलग है। क्या आपने कभी इस बात पर ध्यान दिया है या आपके मन में इस तरह के प्रश्न उठे हैं। यदि हां तो आइये आपके प्रश्नों के उत्तर को खोजने की कोशिश करते हैं और बताते हैं आपको आखिर गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस पर फहराए जाने वाले तिरंगे झंडे की प्रक्रिया में क्या अंतर है।
स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस का महत्व
सबसे पहले बता दें कि गणतंत्र दिवस यानी 26 जनवरी के तारीख पर ही 1950 में हमारा संविधान लागू हुआ था वहीं स्वतंत्रता दिवस के दिन यानी 15 अगस्त की तारीख पर ही सन् 1947 में हमारे देश को आजादी मिली थी। ऐसे में स्वतंत्रता दिवस के दिन 15 अगस्त को संपूर्ण भारतवर्ष अपने वीर शहीदों को नमन कर आजादी का जश्न मनाता है तो वहीं 26 जनवरी यानी गणतंत्र दिवस के दिन हमारे देश को अपना संविधान मिला था जिसके बदले हम अपने लोकतंत्र को अहमियत देते हुए गणतंत्र दिवस मनाते हैं।
ध्वारोहण और झंडा फहराने में ये अंतर है
कई सारे लोग इसको लेकर भी अस्पष्ट नजर आते हैं कि ध्वारोहण और झंडा फहराने में क्या अंतर होता है। बता दे कि ये दोनो का आशय देश प्रेम और देशभक्ति से ही है पर प्रक्रिया और महत्व अलग है। स्वतंत्रता दिवस के दिन ध्वारोहण (Flag Hoisting) किया जाता है कि जिसका कार्यक्रम लाल किले पर आयोजित होता है और ये प्रधानमंत्री द्वारा किया जाता है जबकि गणतंत्र दिवस के दिन झंडा फहराया (Flag Unfurling) जाता है जिसका कार्यक्रम राजपथ पर आयोजित होता है और इसे राष्ट्रपति अपने हाथों से फहराते हैं।
राष्ट्रपति झंडा फहराने का महत्व
बता दें कि हमारा संविधान 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ था और राष्ट्रपति हमारा संवैधानिक प्रमुख होता है। ऐसे में हर वर्ष 26 जनवरी को राष्ट्रपति द्वारा झंडा फहराया जाता है।
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