India-China: भारत और चीन के बीच बीते कुछ समय से तनाव का माहौल बढ़ रहा है। ताजा वाकया कुछ दिनों पहले का है, जब चीन ने अरुणाचल प्रदेश की कुछ जगहों के नाम को बदल दिया था। इस पर भारत ने चीन की इस कदम की निंदा करते हुए उन नामों को खारिज कर दिया था। ऐसे में भारत ने अपने अभिन्न अंग अरुणाचल प्रदेश में एक बड़ी मुहिम को शुरू किया है। दरअसल, भारत ने अरुणाचल प्रदेश के सीमावर्ती इलाकों को पर्यटन हब बनाने का काम शुरू कर दिया है।
चीन का प्लान होगा फेल
बताया जा रहा है कि भारत का ये कदम चीन के कथित प्रोग्राम विलेजेस प्रोग्राम को नाकाम करने के लिया गया है। भारत ने वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम की शुरूआत की है। इस कदम से चीन को एक कड़ा संदेश मिलेगा। कहा जा रहा है कि भारत ने चीन को उसी की भाषा में जवाब देने के लिए इस प्रोग्राम को शुरू किया है।
सिविल-मिलिट्री साझेदारी के तहत
वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम को सिविल-मिलिट्री साझेदारी के तहत शुरू किया गया है। इस योजना का मुख्य मकसद है कि चीन के समीप बसे भारतीय गांवों से पलायन को रोकना और वहां की अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देना। भारत ने ये कदम ऐसे वक्त में उठाया है, जब चीन लगातार पूर्वी भारत के कुछ हिस्सों में अपना दावा पेश कर रहा है।
उठा सकेंगे इनका लुत्फ
खबरों के मुताबिक, इस योजना के तहत चीन सीमा के पास ट्रैकिंग, होमस्टे, कैंम्पिंग साइट्स, एडवेंचर स्पोर्ट्स और आध्यात्मिक हब बनाने के लिए जोर दिया जाएगा। ये भी कहा जा रहा है कि प्रदेश की सरकार द्वितीय विश्व युद्द् के दौरान विमानों के दुर्घटना स्थल को भी पर्यटन हब के तौर पर विकसित करने की तैयारी कर रही है।
भारतीय वायु सेना तैयार करेगी लैंडिंग ग्राउंड
बताया जा रहा है कि किबिथू और मेशाई में सरकार की तरफ से ये सारा काम पहले से ही किया जा रहा है। हालांकि, अब कई जनजातियों के स्थानीयों घरों को भी विकसित करने का काम तेजी से किया जा रहा है। इस मकसद को पूरा करने के लिए राज्य सरकार ने भारतीय वायु सेना के साथ सबसे पास के एडवांस लैंडिंग ग्राउंड वालेंग में हैलीकॉप्टरों के लिए एक कमर्शियल लैंडिंग ग्राउंड बनाने का भी फैसला लिया है।
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