S. Jaishankar: भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर इन दिनों अमेरिका दौरे पर हैं। वहां वे संयुक्त राष्ट्र संघ की महासभा (United Nations General Assembly) में हिस्सा लेने पहुंचे हुए हैं। मंगलवार (26 सितंबर) को न्यूयॉर्क में ‘काउंसिल ऑन फॉरेन रिलेशन्स पर चर्चा के दौरान विदेश मंत्री एस जयशंकर ने लगभग 75 वर्षों में संघर्ष और सहयोग के चक्र से गुजरे भारत-चीन संबंधों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि कहा कि दोनों देशों के बीच संबंध कभी भी आसान नहीं रहे। इसमें हमेशा कुछ समस्याएं रही हैं।
‘1975 के बाद से सीमा पर कोई मृत्यु नहीं हुई’
उन्होंने कहा, “मैं 2009 में, वैश्विक वित्तीय संकट के ठीक बाद, 2013 तक राजदूत था। मैंने चीन में सत्ता परिवर्तन देखा और फिर मैं अमेरिका आ गया। यह कभी भी आसान रिश्ता नहीं रहा।” उन्होंने कहा कि युद्ध और सैन्य घटनाओं के इतिहास के बावजूद, 1975 के बाद से सीमा पर कोई सैन्य या युद्ध मृत्यु नहीं हुई है। उन्होंने कहा कि 1962 में भारत-चीन में युद्ध हुआ था, उसके बाद कई सैन्य घटनाएं हुईं। लेकिन 1975 के बाद, सीमा पर कभी कोई सैन्य या युद्ध घातक घटना नहीं हुई।
‘चीन के फैसलों में हमेशा अस्पष्टता रही है’
जयशंकर ने आगे कहा कि चीन के फैसलों में हमेशा से अस्पष्टता रही है, क्योंकि चीनी वास्तव में कभी भी अपने कार्यों के पीछे का कारण नहीं बताता। उन्होंने कहा कि चीन के साथ व्यवहार करने का एक आनंद यह है कि वे आपको कभी नहीं बताते कि वे ऐसा क्यों करते हैं, इसलिए आप अक्सर इसका पता लगाने की कोशिश करते हैं।
‘उकसावों से तनावपूर्ण हुए भारत-चीन के रिश्ते’
विदेश मंत्री ने आगे कहा कि भारत और चीन के तनावपूर्ण रिश्ते हाल के चीनी उकसावों से बढ़े हैं, जिसमें उसके “मानक मानचित्र” का 2023 संस्करण जारी करना, अरुणाचल प्रदेश, अक्साई चिन क्षेत्र पर दावा करना और हांग्जो एशियाई खेलों में भारतीय एथलीटों को वीजा देने से इनकार करना शामिल है। उन्होंने कहा कि एक ओर जहां भारत ने हमेश रिश्तों को ठीक करने की कोशिश की है, तो उन्होंने हमेशा समझौते तोड़े हैं।
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