Chandrayaan-3: चंद्रयान-3 की सफलता को लेकर इस वक्त पूरे देश में जश्न का माहौल है। हर तरफ बस इसी की चर्चा हो रही है। भारत के इस मून मिशन को सफल बनाने में सबसे बड़ा योगदान भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) का है। ISRO ने इस मिशन पर कड़ी मेहनत की थी, जिसकी बदौलत आज हम इस मुकाम पर पहुंच पाए हैं।
चंद्रयान-2 के फेलियर से ली थी सीख
2019 में चंद्रयान-2 के फेलियर के बाद ISRO ने बड़ी सीख ली थी। मौजूदा मून मिशन में ISRO ने कई तरह के बदलाव किए हैं, जिस वजह से चंद्रयान-3 की लैंडिंग सफल तरीके से हो पाई। लेकिन, पांच सालों का यह सफर आसान नहीं था। इस दौरान ISRO ने कई तरह की चुनौतियां और परेशानियां देखी। लेकिन, अंत में जीत हमारी ही हुई।
वीडियो में देखिए ISRO की 4 साल की तपस्या
ISRO (Indian Space Research Organisation) अपनी इस भूमिका और अपने वैज्ञानिकों की कड़ी मेहनत को समझता है। इसी को लेकर ISRO ने अपने इस सफर का एक वीडियो जारी किया है। वीडियो में चंद्रयान-2 के फेलियर से लेकर Chandrayaan-3 की सफलता की कहनी दिखाई गई है।
‘हर विफलता पर की गई कड़ी मेहनत‘
चांद के दक्षिणी ध्रुव पर ‘विक्रम’ लैंडर की सफल लैंडिंग के बाद ISRO के पूर्व अंतरिक्ष वैज्ञानिक, नंबी नारायणन ने कहा कि चंद्रयान-2 की विफलता से सीखे गए सबक ने भारत के तीसरे मून मिशन की सफलता में योगदान दिया है।
समाचार एजेंसी ANI से बात करते हुए नारायणन ने चंद्रयान-3 मिशन से जुड़े वैज्ञानिकों को बधाई देते हुए कहा, “चंद्रयान-2 की हर विफलता पर बीते चार सालों तक कड़ी मेहनत की गई। इसमें हर तरह की समस्या को ठीक किया गया और आज हमने चांद पर सफल कदम रखा है। जो बड़े ही गर्व की बात है।”
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