Monday, December 23, 2024
Homeदेश & राज्यISRO Satellite में बचा हुआ है सिर्फ इतना ईंधन, जल्द नहीं गिराया...

ISRO Satellite में बचा हुआ है सिर्फ इतना ईंधन, जल्द नहीं गिराया गया तो मच सकती है तबाही

Date:

Related stories

भारत के सूर्य मिशन का हर दिन नया कीर्तिमान! Aditya L1 ने तय कर ली इतने लाख KM की दूरी; अब जल्‍द ही इस...

Aditya L1 Mission: भारत के सौर्य मिशन आदित्य एल1 को लेकर भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने बड़ा अपडेट दिया है। इसरो प्रमुख एस सोमनाथ ने इस संबंध में कहा है कि यान तेजी से अपने लक्ष्य की ओर आगे बढ़ रहा है।

Aditya-L1 मिशन को लेकर ISRO ने दिया बड़ा अपडेट, अब अपने इस लक्ष्य की ओर बढ़ रहा यान; जानें पूरी डिटेल

Aditya-L1 Mission: भारत के सोलर मिशन आदित्य-एल1 को लेकर बड़ी अपडेट सामने आई है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने कहा है कि सौर्य मिशन के लिए संचालित किया गया यह यान ठीक से काम कर रहा है।

ISRO Satellite: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (Indian Space Research Organization) का एक सैटेलाइट मेघा ट्रॉपिक्स-1 (Megha-Tropiques-1) तबाही मचा सकता है। सैटेलाइट का जीवनकाल पूरा होने के बाद भी इसमें करीब 125 किलोग्रमा ईंधन बचा हुआ है। ईंधन बचे होने के कारण इसके टूटने का खतरा पैदा हो सकता है।

प्रशांत महासागर में गिराने की तैयारी

गौर हो कि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (Indian Space Research Organization) मेघा ट्रॉपिक्स-1 (Megha-Tropiques-1) को जल्द ही प्रशांत महासागर में गिराने की तैयारी कर रहा है। इसरो जल्द ही इस चुनौतीपूर्ण अभियान को अंजाम देगा। इस सैटेलाइट को 7 मार्च को पृथ्वी की निचली कक्षा में प्रवेश कराया जाएगा। इसके बाद इसे प्रशांत महासागर में गिरा दिया जाएगा। इसरो के लिए इसे महासागर में गिराना बहुत ही चुनौतीपूर्ण है क्योंकि इसका ईंधन खत्म नहीं हुआ है।

12 अक्टूबर को किया था प्रक्षेपण (ISRO Satellite)

ईंधन खत्म नहीं होने के कारण ही सैटेलाइट मेघा ट्रॉपिक्स-1 को सबसे पहले पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करवाया जाएगा और इसके बाद इसे प्रशांत महासागर में गिराने की योजना है। मेघा ट्रॉपिक्स-1 का फ्रांसीसी अंतरिक्ष एजेंसी (CNEC) ने 12 अक्टूबर 2011 को मौसम व जलवायु अध्ययन के लिए प्रक्षेपण किया था।

तीन साल का था जीवनकाल

बेंगलुरु स्थित अंतरिक्ष एजेंसी ने बताया कि मेघा ट्रॉपिक्स-1 सैटेलाइट (ISRO Satellite) का जीवनकाल तीन साल का था। 2021 तक उपग्रह क्षेत्रीय और वैश्विक जलवायु मॉडल के साथ अहम डेटा सेवाएं उपलब्ध कराता रहा। उन्होंने कहा कि अब नियंत्रण के साथ उसे पृथ्वी में प्रवेश करवाया जाएगा। इस सैटेलाइट का वजन करीब 1000 किलो है। वर्तमान समय में इसमें करीब 125 किलो ईंधन बचा हुआ है। किसी भी तरह अगर यह टूट जाता है तो फिर खतरा पैदा हो सकता है।

ये भी पढ़ें: देश के छोटे व्यापारियों की मदद के लिए सरकार जल्द लाएगी National Retail Trade Policy, बीमा के साथ मिलेंगी ये सुविधाएं

इसरो के लिए चुनौती (ISRO Satellite)

गौर हो कि अगर किसी बड़े सैटेलाइट (ISRO Satellite) या रॉकेट को फिर से पृथ्वी पर प्रवेश करवाया जाता है तो इसके लिए पूरा ध्यान रखा जाता है। इसका पुनः प्रवेश नियंत्रित तरीके से करवाया जाता है। अगर नियंत्रित तरीके से प्रवेश नहीं करवाया जाएगा तो जमीन पर हताहत हो सकता है। इसलिए 1000 किलो वजनी इस सैटेलाइट मेघा ट्रॉपिक्स-1 को गिराने के लिए प्रशांत महासागर को चुना गया है।

Latest stories