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Jammu-Kashmir News: ‘मुसलमान असुरक्षित महसूस..कश्मीरी पंडितों को..,’ धार्मिक स्थलों के सर्वे पर ये क्या बोल गए Farooq Abdullah?

Jammu-Kashmir News: NC चीफ और जम्मू-कश्मीर के पूर्व सीएम Farooq Abdullah ने धार्मिक स्थलों के सर्वेक्षण को लेकर बड़ी बात कह दी है। इसके अलावा उन्होंने जम्मू-कश्मीर में कश्मीरी पंडितों की वापसी पर भी बड़ा बयान दिया है जिसको लेकर सुर्खियां बन रही हैं।

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Jammu-Kashmir News
सांकेतिक तस्वीर

Jammu-Kashmir News: ‘मुस्लिम असुरक्षित महसूस कर रहे हैं।’ ऐसा हम नहीं कह रहे। ये कहना है जम्मू-कश्मीर (Jammu-Kashmir) के पूर्व सीएम डॉ. फारुक अब्दुल्ला का। नेशनल कॉन्फ्रेंस (NC) के चीफ फारुक अब्दुल्ला ने आज मीडिया से बात करते हुए कई अहम पहलुओं पर अपना पक्ष रखा है। फारुक अब्दुल्ला (Dr. Farooq Abdullah) ने कश्मीरी पंडितों की वापसी और धार्मिक स्थलों के सर्वेक्षण पर बड़ी बात कह दी है जिसको लेकर सुर्खियां बन रही हैं। सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफॉर्म पर यूजर्स अपने-अपने बुद्धि-विवेक के अनुसार फारुक अब्दुल्ला के बयानों का मतलब निकाल रहे हैं।

धार्मिक स्थलों के सर्वेक्षण पर क्या बोल गए Dr. Farooq Abdullah?

राजस्थान के अजमेर में स्थित ख़्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती दरगाह के सर्वेक्षण को लेकर बीते दिनों खूब बवाल हुआ था। इसके लिए अजमेर सिविल कोर्ट के फैसले की चर्चा भी जोरों पर हुई थी जिसमें सुप्रीम कोर्ट का दखल भी सामने आया। ऐसे में धार्मिक स्थलों के सर्वेक्षण को लेकर NC चीफ फारुक अबदुल्ला (Dr. Farooq Abdullah) का कहना है कि “मुसलमान असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। मैं भारत सरकार से इसे रोकने के लिए कहूंगा। 24 करोड़ मुसलमानों को समुद्र में नहीं फेंका जा सकता। मुसलमानों के साथ समान व्यवहार करना चाहिए। हमारे संविधान में धर्म के आधार पर कोई भेदभाव नहीं है। उन्हें यह याद रखना चाहिए कि अगर वे संविधान को नष्ट कर देंगे, तो भारत कहां रहेगा?”

कश्मीरी पंडितों के पुनर्वास को लेकर क्या है डॉ फारूक अब्दुल्ला का रुख?

जम्मू-कश्मीर (Jammu-Kashmir) से त्रासदी की मार झेलकर विस्थापित हुए कश्मीरी पंडितों के पुनर्वास को लेकर भी डॉ. फारुक अब्दुल्ला ने अपना पक्ष रखा है। डॉ. फारुक अब्दुल्ला (Dr. Farooq Abdullah) ने आज मीडिया से बात करते हुए कहा कि “जब मैं सीएम था और जब धारा 370 थी, तब मैंने उन्हें (कश्मीरी पंडितों को) पुनर्वास करने की कोशिश की। लेकिन उन दिनों स्थिति खराब थी। कश्मीरी पंडितों को यहां आने से कौन रोकता है? यह उनका है जब वे आना चाहें तो निर्णय लें। हमारे दिल उनके लिए खुले हैं।”

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