Friday, November 22, 2024
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Karnataka News: क्या बढेंगी CM Siddaramaiah की मुश्किलें? MUDA केस को लेकर सामने आया ये बड़ा अपडेट

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MUDA Case: हाईकोर्ट के इस फैसले से CM Siddaramaiah को बड़ा झटका, मुड़ा लैंड स्कैम में अब चलेगा केस

MUDA Case: कर्नाटक के चर्चित मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (MUDA) जमीन घोटाला मामले में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को बड़ा झटका लगा है।

Karnataka News: कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की मुश्किलें एक बार फिर बढ़ती नजर आ रही हैं। समाचार एजेंसी एएनआई की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक कर्नाटक के राज्यपाल थावरचंद गहलोत मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (MUDA) केस में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया (CM Siddaramaiah) के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति दे दी है।

राज्यपाल के इस फैसले के बाद सूबे का सियासी पारा तेजी से चढ़ता नजर आ रहा है और कर्नाटक में विपक्ष की भूमिका निभा रही बीजेपी व जेडीएस के नेता कांग्रेस पर तेजी से हमलावर होते नजर आ रहे हैं। दावा किया जा रहा है कि राज्यपाल के इस फैसले के बाद सीएम सीएम सिद्धारमैया की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। (Karnataka News)

राज्यपाल का अहम निर्णय

तमाम चर्चाओं और सियासी सुर्खियों के बीच कर्नाटक के राज्यपाल थावरचंद गहलोत ने आज बड़ा निर्णय लिया है।

राजभवन की ओर से स्पष्ट किया गया है कि कथित मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (MUDA) केस में सीएम सिद्धारमैया के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए सक्षम प्राधिकारी को अनुमति दी जाती है। राजभवन की ओर से आए इस फैसले के बाद कर्नाटक में सियासी पारा तेजी से चढ़ता नजर आ रहा है।

क्या है MUDA केस?

कर्नाटक में मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (MUDA) केस को लेकर खूब सुर्खियां बनती हैं। जानकारी के मुताबिक मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण ने वर्ष 1992 में किसानों से कुछ जमीन ली थी जिसका इस्तेमाल रिहायशी इलाकों को विकसित करने के लिए किया जाना था। हालाकि बाद में उस जमीन को डेनोटिफाई कर कृषि भूमि से अलग किया गया था और वर्ष 1998 में अधिगृहित भूमि का एक हिस्सा किसानों को वापस कर दिया था।

CM Siddaramaiah की भूमिका पर क्यों उठे सवाल?

मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण केस में सीएम सिद्धारमैया (CM Siddaramaiah) की भूमिका पर सवाल क्यों उठ रहे हैं इसको जानना बेहद जरुरी है। दरअसल वर्ष 1998 में सिद्धारमैया सूबे के डिप्टी सीएम थे। जानकारी के मुताबिक सिद्धारमैया के साले ने वर्ष 2004 में डेनोटिफाई जमीन का एक टुकड़ा खरीदा था। माप के मुताबिक वो जमीन 3 एकड़ से थोड़ी ज्यादा थी। फिर वर्ष 2004-05 में कांग्रेस जेडीएस गठबंधन की सरकार में सिद्धारमैया डिप्टी सीएम बने और इस समयावधि के दौरान जमीन के विवादास्पद टुकड़े को दोबारा डेनोटिफाई कर कृषि की भूमि से अलग किया गया।

इसमें दिलचस्प बात ये रही कि जब जमीन का मालिकाना हक लेने सिद्धरमैया का परिवार गया तो पता चला कि वहां लेआउट विकसित हो चुका था और इस प्रकार प्राधिकरण से लड़ाई शुरू हुई। वर्ष 2013-2018 की बात करें तो तब सिद्धारमैया मुख्यमंत्री बन चुके थे और उनके परिवार की ओर से जमीन की अर्जी उन तक पहुंचाई गई, लेकिन मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। हालाकि तमाम आरोपों से इतर सीएम सिद्धारमैया इस मामले में कानूनी लड़ाई लड़ने को तैयार हैं और MUDA केस में अपनी किसी भी भूमिका को सिरे से खारिज करते हैं।

Gaurav Dixit
Gaurav Dixithttp://www.dnpindiahindi.in
गौरव दीक्षित पत्रकारिता जगत के उभरते हुए चेहरा हैं। उन्होनें चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय से अपनी पत्रकारिता की डिग्री प्राप्त की है। गौरव राजनीति, ऑटो और टेक संबंघी विषयों पर लिखने में रुची रखते हैं। गौरव पिछले दो वर्षों के दौरान कई प्रतिष्ठीत संस्थानों में कार्य कर चुके हैं और वर्तमान में DNP के साथ कार्यरत हैं।

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