India Middle East Corridor: दिल्ली के भारत मंडपम में हुए G-20 (G20 Summit 2023) का 18वां समिट समाप्त हो गया है। देश में हुए इस समिट को ऐतिहासिक समिटों में से एक माना जाएगा। अब तक जितने भी G-20 के सबमिट हुए हैं किसी में इतनी एकता नजर नहीं आई, जितनी की इस बार के सबमिट में नजर आई है। बता दें कि भारत ने G-20 के बहाने पूरी दुनिया को अपनी ताकत संस्कृति और साइंस का एहसास कराया है। इसके लिए देशभर में बीते 10 महीनों से 200 से ज्यादा बैठकें की गई थी, जिसके बाद G-20 सबमिट को सफलतापूर्वक समाप्त किया गया।
इन देशों के साथ हुई ऐतिहासिक डील
G-20 में इस बार भारत समेत सभी देशों को कई उपलब्धियां हासिल हुई और इस समिट की सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक है – इंडिया– मिडिल ईस्ट यूरोप इकोनॉमिक कॉरिडोर (India-Middle East-Europe Economic Corridor)। जानकारी के लिए आपको बता दें कि भारत के साथ यूरोपियन यूनियन, सऊदी अरब, UAE और अमेरिका ने ये महत्वपू्र्ण डील की है। इन सभी देशों के बीच हुई इस डील का असल मकसद पश्चिम एशिया और यूरोप तक का रास्ता साथ ही तेज समुद्री और रेलवे गति को उपलब्ध कराना है।
इस मामले के कई जानकार भारत और अन्य देशों में हुई इस डील को चीन की वन बेल्ट वन रोड इनीशिएटिव यानी की (OBOR) की कंपीटीटर के रूप में देख रहे हैं। जानकारी के लिए बता दें कि भारत और UAE की इस डील में दुबई पोर्ट प्राइमरी लिंक बन सकता है। दुबई के इसी बंदरगाह को शुरुआती रेल लिंक का पॉइंट भी बनाया जा सकता है। इस बंदरगाह की मदद से UAE को सऊदी अरब, तुर्की, इजरायल और यूरोप जैसे देशों को जोड़ने का काम किया जाएगा।
जानें क्यों एनालिस्ट्स ने दिया ‘नया स्पाइस रूट’ का नाम ?
वहीं इस विषय पर अच्छी जानकारी रखने वाले एनालिस्ट्स ने G-20 सम्मेलन में हुए इस बड़े समझौते को ‘नया स्पाइस रूट’ का नाम दिया है। एनालिस्ट्स ‘नया स्पाइस रूट’ का नाम इसलिए भी दिया है क्योंकि प्राचीन काल में भारतीय उपमहाद्वीप और यूरोप के बीच अच्छा खासा व्यापार हुआ करता था। जिसमें मुख्य रूप से मसालों का निर्यात किया जाता था।
जानें नए स्पाइस रूट से क्या हैं फायदे?
कई लोगों के मन में सवाल होंगे की आखिरकार नए स्पाइस रूट से क्या फायदे होंगे और किस तरह से ये काम करेगा? उनकी जानकारी के लिए बता दें कि नए ‘स्पाइस रूट’ में दो गलियारे यानी की दो रास्ते शामिल किए गए हैं। जिसमें – पूर्व-पश्चिम जोकि भारत को पश्चिम एशिया से जोड़ने का काम करता है, तो वहीं दूसरा उत्तरी गलियारा यानी की पश्चिम एशिया से यूरोप तक है। इन गलियारों को जो़ड़ने के पीछे का कारण ये है कि IMEEEC को दक्षिण-पूर्व एशिया से जोड़ा जाए और व्यापार में कुछ बिल्डिंग ब्लॉक्स का अच्छी तरह से इस्तेमाल किया जाए।
बता दें कि भारत पहले से ही संयुक्त अरब अमीरात के साथ व्यापार समझौता हो रखा है, वह यूरोपीय संघ, ब्रिटेन और खाड़ी सहयोग परिषद के साथ अलग सौहार्दपूर्ण संबंध बनाने की तलाश में जुटा हुआ है। जिसमें सऊदी अरब और कुवैत भी शामिल हैं। वहीं कई अधिकारियों ने इस सौदे पर कहा है कि शिपिंग समय और लागत कम हो जाएगी, जिससे व्यापार सस्ता पहले से और ज्यादा तेज हो जाएगा।
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