Monday, December 23, 2024
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Land for Job Scam: कब और कितने में हुई डील? घोटाले से जुड़ी सभी जानकारी बस एक क्लिक में

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Land for Job Scam: राजद सुप्रीमो और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव की पत्नी राबड़ी यादव एक बार घोटाले के फंदे में फंसती नजर आ रही हैं। जमीन के बदले नौकरी घोटाला (Land for Job Scam) में केंद्रीय जांच एजेंसी यानी सीबीआई की टीम आज यानि सोमवार सुबह राबड़ी देवी के आवास पर आ धमकी। इस घोटाला मामले में लालू यादव, राबड़ी यादव और मीसा भारती को 15 मार्च को कोर्ट के समक्ष पेश होना है। यहां जानते हैं कि आखिर जमीन के बदले नौकरी घोटाला मामला (Land for Job Scam) है क्या? यह घोटाला कब हुआ, इसमें कौन-कौन आरोपी हैं और अब तक जांच की आंच कहां तक पहुंची है।

2004 से 2009 के बीच का मामला (Land for Job Scam)

गौर हो कि जमीन के बदले नौकरी घोटाला मामला उस समय का है जब लालू यादव केंद्रीय रेल मंत्री थे. वे यूपीए सरकार के समय साल 2004 से 2009 तक रेल मंत्री थे। दावा किया गया है जब वे रेल मंत्री थे इस दौरान लोगों को रेलवे में नौकरी देने के बदले उनसे जमीन ली गई थी। सीबीआई ने 10 अक्टूबर 2022 को ही चार्जशीट दाखिल की थी।

इन 16 लोगों को बनाया आरोपी

सीबीआई ने मामले में लालू यादव, राबड़ी देवी, उनकी दो बेटियां मीसा भारती और हेमा यादव के अलावा 12 लोगों को आरोपी बनाया गया था। इस मामले में सभी को 15 मार्च को कोर्ट के समक्ष पेश भी होना है. सीबीआई ने जुलाई 2022 में ही भोला यादव को गिरफ्तार किया था. भोला यादव लालू यादव के रेलवे मंत्री रहते हुए OSD थे। सीबीआई की मानें तो लालू यादव ने बड़े पैमाने पर रेलवे में नौकरी देने में गड़बड़ी की थी।

क्या है जमीन के बदले नौकरी घोटाला

यह घोटाला 14 साल पुराना है। सीबीआई ने 18 मई 2022 को इस घोटाला मामले में केस दर्ज किया था। CBI की मानें तो रेलवे में लोगों को पहले Group-D के पदों पर विकल्प के तौर पर भर्ती किया गया. भर्ती करने के बाद जब जमीन का सौदा हुआ तब जाकर उन्हें नियमित किया गया। सीबीआई ने कहा है कि बिहार की राजधानी पटना में राजद सुप्रीमो लालू यादव के परिवार ने करीब 1 लाख 5 हजार 292 वर्ग फीट जमीन पर कथित तौर पर कब्जा कर रखा है। उनका कहना है कि नगद में जमीन का सौदा किया गया था। इसके बाद जमीनों को बेहद ही कम दामों में बेच दी गई थी।

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विकल्प की भर्ती का कोई विज्ञापन नहीं

केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो का यह भी कहना है कि जोनल रेलवे में विकल्प की भर्ती का कोई विज्ञापन या पब्लिक नोटिस भी जारी नहीं किया गया था। लेकिन जिन्होंने यादव परिवार को अपनी जमीन दी उनको जयपुर, हाजीपुर, कोलकाता, मुंबई और जबलपुर में स्थाई नियुक्ति दे दी गई।

ED ने लगाया ये आरोप (Land for Job Scam)

मामले में प्रवर्तन निदेशालय का कहना है कि आवेदनों को अप्रूव (Approve) करने में जल्दबाजी की गई थी। साथ ही कई उम्मीदवारों के आवेदनों को बिना पूरा पता के भी अप्रूव कर दिया गया और नियुक्ति भी दे दी गई। कुल मिलाकर देखें तो कथित तौर पर लालू यादव और उनके परिवार ने 7 उम्मीदवारों को नौकरी जमीन के बदले में दी थी। इनमें से 5 जमीनों की बिक्री हुई थी और दो जमीन गिफ्ट के तौर पर दे दी गई थी।

जमीन के बाद किया जाता था स्थाई

सूत्रों की मानें तो साल 2004 से 2009 तक जब लालू यादव रेल मंत्री थे तो उम्मीदवारों को पहले अस्थाई नौकरी दी जाती थी। अस्थाई नौकरी देने के बाद जब जमीन का सौदा पक्का हो जाता था तब नौकरी को नियमित यानि स्थाई कर दिया जाता था। जमीन के बदले नौकरी डील के लिए एक बड़ा नेटवर्क भी तैयार किया गया था। इसी नेटवर्क के जरिए पूरा स्कैम किया गया।

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इनको मिली थी नौकरी

जमीन के बदले नौकरी घोटाला मामले में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) ने FIR भी दर्ज करवाई है. इसके मुताबिक राजकुमार, अजय कुमार, धर्मेंद राय, अभिषेक कुमार, प्रेमचंद कुमार, हृदयानंद चौधरी, मिथिलेश कुमार, संजय राय, रवींद्र राय, दिलचंद कुमार, लालचंद कुमार, और पिंटू कुमार ने जमीन के बदले नौकरी पाई थी। इन सभी के परिजनों ने लालू यादव के परिवार के सदस्यों के नाम पर जमीन लिखी थी. साथ ही लाखों रूपए नगद भी दिया गया था। इन सभी पर सरकारी नौकरी गलत तरीके से हासिल करने का आरोप है।

मामला कब सामने आया (Land for Job Scam)

CBI ने 23 सितंबर 2021 को इस घोटाले को लेकर प्रारंभिक जांच दर्ज की, जिसको 18 मई 2022 को प्राथमिकी में बदला गया था. इसके बाद अक्टूबर 2022 में लालू यादव सहित 16 लोगों के खिलाफ मामले में आरोप पत्र दाखिल किया गया था। इसके बाद छापेमारी भी की गई थी। साथ ही मुकदमा को लेकर केंद्र सरकार से अनुमति मांगी थी। वहीं, सरकार से जांच अनुमति मिलने के बाद लालू यादव सहित सभी 16 लोगों की मुश्किलें बढ़ सकती है।

यहां जानिए पूरा डील (Land for Job Scam)

पहला डील: सीबीआई जांच में सामने आया कि साल 2007 के नवंबर महीन में किरण देवी निवासी पटना बिहार ने करीब 80 हजार वर्ग फीट जमीन मीसा भारती के नाम की थी। इसके लिए 3.70 लाख रुपए में सौदा हुआ था। जांच में सामने आया कि इसके बाद किरण देवी के बेटे अभिषेक कुमार को मुंबई में भर्ती किया गया था।

दूसरा डील: हजारी राय निवासी पटना ने फरवरी 2007 में 9,527 वर्ग फीट जमीन 10.83 लाख रुपए में बेच दी थी। इसके बाद हजारी राय के दो भतीजों को रेलवे में नौकरी दी गई थी।

तीसरा डील: ब्रज नंदर राय ने साल 2008 में करीब 3,375 वर्ग फीट जमीन 4.21 लाख रुपए में बेच दी थी. ये गोपालगंज, बिहार के रहने वाले थे. इनके परिवार के में ह्रदयानंद चौधरी को हाजीपुर में सब्स्टीट्यूट के तौर पर भर्ती किया गया था.

चौथा डील: संजय राय निवासी पटना ने फरवरी 2008 में 3,375 वर्ग फीट जमीन 3.75 लाख रुपए में राबड़ी देवी के नाम की थी। इसके बदले संजय राय सहित 3 और लोगों को नौकरी दी गई थी।

पांचवां डील: 6 फरवरी 2008 को किशुन देव राव निवासी पटना ने अपनी 3,375 वर्ग फीट की जमीन राबड़ी देवी के नाम पर की थी. जिसके लिए 3.75 लाख रुपए में सौदा तय हुआ था। साल 2008 में ही इस परिवार के 3 सदस्य अजय कुमार, मिथिलेश कुमार और राज कुमार सिंह को मुंबई में ग्रुप डी में भर्ती किया गया था।

छठवां डील: विशुन देव राय ने साल 2008 में 3,375 वर्ग फीट की जमीन ललन चौधरी के नाम की थी। ललन के पोते पिंटू कुमार को रेलवे में नौकरी दी गई। इसके बाद फरवरी 2014 में यह जमीन हेमा यादव के नाम ट्रांसफर कर दी गई।

सातवां डील: मई 2015 में लाल बाबू राय ने 1,360 वर्ग फीट जमीन राबड़ी देवी को करीब 13 लाख रुपए में बेची थी। इसके पहले 2006 में लाल बाबू राय के बेटे को विकल्प के तौर पर रेलवे में भर्ती किया गया था।

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