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Lok Sabha Election 2024: क्या Congress का जहाज डूबने को है? क्यों बड़े नेता छोड़ रहे पार्टी, विस्तार से जानिए

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Lok Sabha Election 2024
Lok Sabha Election 2024

Lok Sabha Election 2024: देश में लोकसभा चुनाव 2024 (Lok Sabha Election 2024) की तैयारियां जोरों से चल रही है। भारतीय निर्वाचन आयोग आने वाले कुछ दिनों में राष्ट्रीय चुनाव की तारीखों का ऐलान कर सकता है। ऐसे में कांग्रेस (Congress) को लगातार एक के बाद एक बड़े झटके लग रहे हैं।

Lok Sabha Election 2024 की सबसे बड़ी राजनीतिक लड़ाई से पहले कांग्रेस के बड़े खिलाड़ी पार्टी का हाथ छोड़कर जा रहे हैं। पार्टी की हालत ऐसी हो गई है कि अब पार्टी बिखरने की कगार पर पहुंच गई है। इस आर्टिकल में जानिए क्या हैं वो कारण, जिनकी वजह से कई बड़े नेता कांग्रेस का दामन त्याग रहे हैं।

Lok Sabha Election 2024 से पहले Congress को झटका

हाल ही में कांग्रेस (Congress) के दिग्गज नेता और महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण ने पार्टी का साथ छोड़कर भारतीय जनता पार्टी का कमल थाम लिया। इससे पहले महाराष्ट्र में पार्टी के मजबूत नेता माने जाने वाले मिलिंद देवड़ा ने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा देकर शिंदे गुट की शिवसेना का दामन थाम लिया। इसके साथ उनका कांग्रेस के साथ 55 साल पुराना सफर भी समाप्त हो गया।

वहीं, अब अटकलें लगाई जा रही है कि मध्य प्रदेश के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ अपने सांसद पुत्र नकुलनाथ के साथ लोकसभा चुनाव 2024 (Lok Sabha Election 2024) से पहले कांग्रेस को अलविदा कह सकते हैं। कांग्रेस के दिग्गज नेताओं में शुमार मनीष तिवारी भी कांग्रेस का हाथ छोड़कर भाजपा का कमल थाम सकते हैं।

रिपोर्ट्स के मुताबिक, लोकसभा चुनाव 2024 (Lok Sabha Election 2024) से पहले मनीष तिवारी बड़ा फैसला ले सकते हैं। बता दें कि मनीष तिवारी मौजूदा समय में पंजाब के आनंदपुर साहिब से कांग्रेस सांसद हैं, मगर वे आगामी लोकसभा चुनाव में भाजपा के चुनाव चिन्ह पर लुधियाना से लोकसभा चुनाव लड़ना चाहते हैं। अगर ऐसा होता है तो ये भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (आईएनसी) के लिए बड़ा झटका माना जाएगा।

नेताओं का कमजोर आत्मविश्वास

राजनीतिक जानकारों का मानना है कि कांग्रेस में नेता पार्टी के टिकट पर जंग जीतने की उम्मीद खो रहे हैं। पार्टी की एक के बाद एक लगातार हार हो रही है। साथ ही भविष्य को लेकर भी पार्टी के पास कोई मजबूत योजना नहीं है। वहीं, नेताओं को ये उम्मीद है कि उनका राजनीतिक करियर भाजपा में संवर सकता है। नेताओं को लग रहा है कि भाजपा ही उनको राजनीति में ऊपर लेकर जा सकती है।

कांग्रेस नेतृत्व पर भरोसे का अभाव

राजनीतिक जानकारों के मुताबिक, लोकसभा चुनाव 2024 (Lok Sabha Election 2024) की सबसे बड़ी राजनीतिक लड़ाई के लिए कांग्रेस ने पहले ही हार मान ली है। अभी लोकसभा चुनाव शुरू होने में काफी कम समय बचा है, मगर कांग्रेस अपनी तैयारियों से बता रही है कि उसके नेताओं को पार्टी नेतृत्व पर भरोसा नहीं है। कुछ पार्टी नेताओं का कहना है कि शीर्ष नेतृत्व को पार्टी की चुनावी तैयारियों की कोई चिंता नहीं है। लगातार दो लोकसभा चुनाव हारने के बाद नेतृत्व कमजोर दिख रहा है।

कांग्रेस का ढुलमूल व्यवहार

कांग्रेस के कई नेताओं ने पार्टी नेतृत्व पर कई बार अज्ञानतापूर्ण व्यवहार का आरोप लगाया है। पार्टी द्वारा बड़े नेताओं को हाशिए पर धकेल दिए जाने के बाद उन नेताओं ने भाजपा या अन्य पार्टियों में जाने का फैसला लिया। पार्टी के कई नेता भी इसी सुर से बात करते हैं। ऐसे में पार्टी चुनावों पर ध्यान देने के बजाय नेताओं को मनाने पर फोकस कर रही है। इसके अलावा कांग्रेस का सबसे पुराना संगठन ‘सेवा दल’ ने हाल ही में अपनी स्थापना के 100 वर्ष पूरे कर लिए। मगर पार्टी नेतृत्व ने इस दिन कोई बड़ा कार्यक्रम आयोजित नहीं किया।

राहुल गांधी की अपरिपक्व क्षमता

पार्टी नेताओं का कहना है कि राहुल गांधी का कार्यकर्ताओं और नेताओं के साथ व्यवहार करते समय उनकी अपरिपक्व क्षमता उजागर होती है। राहुल गांधी की अपरिपक्व क्षमता के बाद भी पार्टी नेताओं ने उन्हें पार्टी का प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार पेश करके पार्टी के पतन की नींव रख दी है। इसके साथ ही विदेशों में राहुल गांधी के देश के बारे में विवादास्पद विचार और राष्ट्रीय मुद्दों से संबंधित उनकी टिप्पणी से पार्टी नेताओं में आक्रोश पैदा हो गया है।

कांग्रेस का हिंदू विरोधी रुख

कई राजनीतिक जानकारों का कहना है कि बीते दिनों के कांग्रेस के रुख ने उन्हें अल्पसंख्यकों की तुष्टिकरण वाली पार्टी का दर्जा दे दिया है। अल्पसंख्यकों को अपनी तरफ लुभाने के लिए कांग्रेस अकेली नहीं है, उसके साथ कई अन्य दल भी अल्पसंख्यकों को अपनी तरफ लाने की पुरजोर कोशिश कर रहे हैं।

कांग्रेस ने अयोध्या में राम मंदिर उद्घाटन समारोह को निमंत्रण अस्वीकार करके हिंदू विरोधी पार्टी का दर्जा हासिल किया। इसके अलावा मंदिर निर्माण का विरोध करना, सनातन धर्म और भगवान राम और अन्य कई हिंदू विरोध टिप्पणियां करना पार्टी को हिंदू विरोधी बनाने की ओर धकेलती हैं।

पारिवारिक राजनीति

राजनीति में बदलाव समय की मांग है। मगर कांग्रेस पार्टी लगातार हार के बाद भी न अपनी मानसिकता बदल रही है और न ही पार्टी की कार्यशैली। ऐसे में पार्टी को नुकसान तो उठाना ही पड़ेगा। राजनीतिक विश्लेषकों को मानना है कि जिस तरह से पार्टी का देशभर में दायरा सिमटता जा रहा है, उस हिसाब से कांग्रेस सिर्फ एक परिवार तक केंद्रित पार्टी बनकर रह गई है।

पार्टी के युवा और वरिष्ठ नेताओं की अपनी चमक फीकी पड़ रही है। कई नेताओं को ये समझ आ गया है कि पार्टी उन्ही नेताओं के लिए है, जो नेता पारिवारिक वफादारी से बंधे हैं। पार्टी के एक पूर्व नेता ने कहा कि गांधी परिवार अब एक बॉस की तरह व्यवहार करता है।

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