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Lok Sabha Elections 2024: बीते 5 सालों में कितना बदला मुस्लिम वोटिंग पैटर्न? जानिए क्या है मतदाताओं का चुनावी मिजाज

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Lok Sabha Elections 2024
Lok Sabha Elections 2024

Lok Sabha Elections 2024: देश में लोकसभा चुनाव 2024 (Lok Sabha Elections 2024) के लिए अगले कुछ दिनों में ऐलान हो सकता है। ऐसे में सभी दलों ने अपनी-अपनी राजनीतिक तैयारी शुरू कर दी है। केंद्र की सत्ता में बैठी भारतीय जनता पार्टी यानी भाजपा ने भी लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर अहम रणनीतियों पर काम शुरू कर दिया है।

Lok Sabha Elections 2024 की तैयारी

भाजपा ने अपने कोर मतदाताओं के साथ-साथ मुस्लिम वोटों को भी अपनी ओर लाने की तैयारी कर ली है। इसके लिए बीजेपी ने एक बड़ा प्लान बनाया है। आगे जानिए इस बार के चुनाव में मुस्लिम मतदाताओं का मिजाज कैसा रह सकता है।

2019 में मुस्लिम मतदाताओं का मिजाज

कई लोकसभा चुनाव एनालिसिस में मुसलमानों को एक सजातीय मतदान के तौर पर देखा जाता है। हिंदू समुदाय की तरह मुसलमान भी वर्ग, संप्रदाय, जाति और क्षेत्रीय आधार पर विभाजित हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को शानदार जीत हासिल हुई थी।

इसमें लोकसभा चुनावों के बाद मुसलमानों ने बड़े स्तर पर भाजपा के खिलाफ प्रमुख पार्टियों को वोट दिया है। आंकड़े बताते हैं कि 2019 से पहले मुस्लिम वोट काफी बंटे हुए थे, मगर 2019 में भाजपा की प्रचंड जीत के बाद मुस्लिम मतदाताओं का मिजाज काफी कठिन हो गया है।

2019 से 2024 तक मुस्लिम वोटों में कितना बदलाव

आंकड़े बताते हैं कि 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव बिहार चुनाव 2020 में लगभग 77 फीसदी मुसलमानों ने भाजपा विरोधी महागठबंधन को वोट दिया। 2021 के पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव में 75 फीसदी मुसलमानों ने भाजपा विरोधी तृणमूल कांग्रेस को मत दिया। वहीं, 2022 के यूपी चुनाव के दौरान 79 फीसदी मुस्लिमों ने भाजपा विरोधी समाजवादी पार्टी को वोट दिया।

Lok Sabha Elections 2024: मुस्लिम वोटों के लिए भाजपा की खास तैयारी

लोकसभा चुनाव 2024 (Lok Sabha Elections 2024) में मुस्लिम वोटों को अपनी ओर करने के लिए भाजपा ने खास तैयारी की है। भाजपा ने कुछ समय पहले ही ‘शुक्रिया मोदी भाईजान’ कार्यक्रम चलाया था। इस कार्यक्रम की टैगलाइन थी ‘ना दूरी है ना खाई है, मोदी हमारा भाई है।‘

आपको बता दें कि अल्पसंख्यक मोर्चा के तहत यूपी की सभी 80 सीटों पर ये कार्यक्रम हुआ था। इस दौरान हर लोकसभा सीट पर 1000 मुस्लिम महिलाओं के साथ कार्यक्रम किया गया। इसके साथ ही भाजपा ने सभी 543 लोकसभा सीटों के लिए 4000 विस्तारक निर्धारित किए थे। इस दौरान पीएम मोदी का मुस्लिम बहनों के साथ भाई जैसा रिश्ता कायम करने का प्रयास किया गया।

क्या है मुस्लिम मतदाताओं का चुनावी मिजाज

भाजपा लोकसभा चुनाव 2024 (Lok Sabha Elections 2024) से पहले पूरी कोशिश कर रही है कि मुस्लिम मतदाताओं को अपनी ओर किया जाए। इन सबके बीच भाजपा पसमांदा मुस्लिमों को जोड़ने का प्रयास कर रही है। लोकसभा चुनाव 2024 में लगातार तीसरी बार जीत हासिल करने के लिए मुस्लिम समाज का समर्थन जरूरी है। पसमांदा मुसलमानों के जरिए भाजपा अपनी चुनावी पैठ मजबूत करने में लगी हुई है।

पसमांदा समाज में मुसलमानों में पिछड़ा समाज माना जाता है। मुस्लिम समाज के इस पिछड़े वर्ग तक सरकारी योजनाओं का लाभ पहुंचाने के लिए भाजपा लगातार जमीन पर काम करने की कोशिश कर रही है। आपको बता दें कि बीते साल यूपी की रामपुर लोकसभा पर उपचुनाव हुए थे, ऐसे में यहां पर मुसलमानों की अधिकता होने के बाद भी भाजपा और सहयोगी दल की जीत हुई। इसमें पसमांदा समाज के मुसलमानों का बड़ा हाथ था।

भाजपा की 370 सीटों के लिए मुस्लिम वोट कितने अहम

कई मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद मुसलमानों के एकजुट होकर वोट करने की संभावना अधिक हो गई है। 2024 लोकसभा चुनाव में भाजपा 370 से 400 का टारगेट लेकर चल रही है। ऐसे में मुस्लिम मतदाताओं का महत्व भी काफी बढ़ जाता है।

इस बात की संभावना कम है कि आगामी चुनावों में मुस्लिम मतदाता पूरी तरह से अपनी जाति या अन्य उप-पहचान पर मतदान करेंगे। वहीं, राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो अगर भाजपा पसमांदा समुदाय में अपनी पैठ बनाने में सफल हो जाती है तो मुस्लिम ब्लॉक में विपक्षी दलों को वोट देने में कमी आ सकती है। इसका सीधा फायदा भाजपा को होगा।

2019 में भाजपा को कितना मिला मुसलमान वोट

रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने अकेले 300 से अधिक सीटों पर जीत हासिल की थी। इसमें 9 फीसदी मुसलमानों ने भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए गठबंधन को वोट दिया। वहीं, 16 फीसदी ईसाइयों ने एनडीए को वोट दिया।

वहीं, 52 फीसदी हिंदुओं ने एनडीए को अपना वोट दिया। सर्वे के मुताबिक, यूपी की 80 सीटों पर 73 फीसदी मुसलमानों ने महागठबंधन को वोट दिया था। वहीं, महाराष्ट्र में 86 फीसदी मुसलमानों ने भाजपा विरोधी गठबंधन को वोट दिया था। ऐसे में जहां पर हिंदू बहुल आबादी नहीं है, वहां पर भाजपा नेतृत्व वाले एनडीए को वोट पाने में खास परेशानी हुई।

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