Lok Sabha Result 2024: उत्तर भारत में सियायस का एक प्रमुख केन्द्र माने जाने वाले राज्य बिहार की राजनीति खूब सुर्खियों में रहती है। बिहार की राजधानी पटना से निकट शहर हाजीपुर को तीर्थ शहर भी कहा जाता है क्योंकि ये पवित्र गंगा नदी के तट पर स्थित है और यहां रामचौरा मंदिर, कौन हारा घाट व नेपाली मंदिर जैसे स्थल भी हैं।
सियासी दृष्टिकोण से देखें तो हाजीपुर एक और व्यक्ति के कारण चर्चाओं में रहता है और उनका नाम है लोक जन शक्ति पार्टी (लोजपा) के पूर्व नेता रहे राम विलास पासवान। लोजपा के ये पूर्व नेता अब हमारे बीच नहीं है और इन्होंने अपनी राजनीतिक विरासत अपने पुत्र चिराग पासवान को सौंपी थी जो कि अब हाजीपुर के साथ बिहार की सियासत में स्थापित होते नजर आ रहे हैं। दरअसल लोक सभा चुनाव 2024 में चिराग पासवान के नेतृत्व में लोक जन शक्ति पार्टी (रामविलास) ने सभी 5 सीटों पर जीत दर्ज कर 100 फीसदी की स्ट्राइक रेट से प्रदर्शन किया है। ऐसे में आइए हम आपको लोजपा (आरवी) द्वारा दर्ज की गई इस जीत के मायने बताते हैं।
रामविलास पासवान की विरासत पर स्थापित हुए चिराग!
राम विलास पासवान कभी बिहार की सियासत के सबसे बड़े दलित नेता के रूप में जाने जाते थे। उन्होंने 1977 में पहली बार हाजीपुर की सुरक्षित लोक सभा सीट से जीत दर्ज की थी। इसके बाद वे 1980, 1989, 1996, 1998, 1999, 2004 व 2014 में हाजीपुर लोक सभा का प्रतिनिधित्व किया। वर्ष 2019 लोक सभा चुनाव में उन्होंने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देकर अपने भाई पशुपति पारस को हाजीपुर लोक सभा सीट सौंपी थी जिन्होंने लोजपा को तोड़ पार्टी के दो धड़े कर दिए।
लोक जन शक्ति पार्टी में हुए टूट के बाद चिराग पासवान के सामने ढ़ेर सारी चुनौतियां आईं लेकिन उन्होंने सबसे पार पाते हुए 2024 लोक सभा चुनाव में पार्टी द्वारा लड़ी गई सभी 5 सीटों पर चुनाव जीत दर्ज कर 100 फीसदी के स्ट्राइक रेट से प्रदर्शन किया है। चिराग पासवान ने खुद हाजीपुर सीट से जीत दर्ज की और उनके नेतृत्व में लोजपा (RV) प्रत्याशियों ने खगड़िया, समस्तीपुर, जमुई व वैशाली की सीट से जीत दर्ज कर पार्टी व पार्टी चीफ चिराग पासवान को बिहार की राजनीति में स्थापित करने का काम किया है।
क्या हैं जीत के मायने?
लोक जन शक्ति पार्टी (RV) की बात करें तो ये पार्टी लोक जन शक्ति पार्टी के टूटने के बाद आस्तित्व में पाई। राम विलास पासवान के भाई पशुपति पारस के बगावत करने के बाद 2019 लोक सभा में चुने गए 5 सांसद दूसरे गुट में शामिल हो गए थे।
चिराग पासवान ने इसके बाद पार्टी पर अपना दक पाने के लिए लंबी लड़ाई लड़ी, बिहार के विभिन्न हिस्सों में पदयात्रा कर जनसमर्थन बटोरा और तब जाकर वे लोजपा पर अपनी पकड़ मजबूत कर सके। इसके बाद बीजेपी ने उन्हें राम विलास पासवान का असल वारिस मानते हुए एनडीए में शामिल करने के निर्णय लिया और बिहार की 5 लोक सभा सीटें (खगड़िया, हाजीपुर, समस्तीपुर, जमुई, वैशाली) उनके खाते में गई जिन पर लोजपा प्रत्याशियों ने जीत दर्ज किया है। ऐसे में लोजपा की इस जीत को चिराग पासवान के संघर्ष की जीत कहा जा रहा है और दावा किया जा रहा है कि पार्टी के इस प्रदर्शन से उनका राजनीतिक भविष्य और उज्जवल हुआ है।