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MP Election 2023: मध्य प्रदेश की इन सीटों पर टिकी हैं सबकी नजरें, कड़ा होने वाला है मुकाबल, जानिए क्या कहता है समीकरण?

MP Election 2023: मध्य प्रदेश में आचार संहिता लागू होने के साथ ही राजनीतिक दलों ने अपना चुनाव अभियान तेज कर दिया है। यहां कांग्रेस और बीजेपी के बीच सीधी टक्कर है। दोनों पार्टियां ज्यादा से ज्यादा सीटें जीतकर सत्ता हासिल करना चाहती हैं।

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MP Election 2023
MP Election 2023

MP Election 2023: मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव का काउंटडाउन अब शुरू हो गया है। आचार संहिता लागू होने के साथ ही राजनीतिक दलों ने अपना चुनाव अभियान तेज कर दिया है। यहां कांग्रेस और बीजेपी के बीच सीधी टक्कर है। दोनों पार्टियां ज्यादा से ज्यादा सीटें जीतकर सत्ता हासिल करना चाहती हैं। जहां कांग्रेस को 2018 में अपनी सफलता जारी रखने की चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, वहीं भारतीय जनता पार्टी अपनी पकड़ बनाए रखने की कोशिश कर रही है। नतीजतन, भाजपा ने तीन केंद्रीय मंत्रियों समेत चार संसदों को चुनावी मैदान में उतारा है। इसके अलावा, पार्टी ने कैलाश विजयवर्गीय को भी टिकट दिया है। पार्टी ने उनके बेटे की जगह उन्हें मौका दिया है। मध्य प्रदेश में ऐसी कई सीटें हैं, जहां मुकाबला दिलचस्प होने वाला है। आइए आपको ऐसा ही कुछ चर्चित सीटों के बारे में बताते हैं।

बुधनी विधानसभा सीट

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह इस सीट से चुनाव लड़ते हैं। सीहोर जिले में आने वाली बुधनी सीट को उनका गढ़ माना जाता है। 2006 से इस सीट पर वह लगातार चुनाव जीत रहे हैं। इस बार भी CM शिवराज इसी सीट से चुनाव लड़ेंगे। वहीं, दूसरी तरफ कांग्रेस ने इस सीट से युवा चेहरे को चुनावी मैदान में उतारा है। पार्टी ने यहां से विक्रम मस्ताल पर भरोसा जताया है। पिछले चुनाव में इसी सीट से पूर्व पीसीसी चीफ अरुण यादव ने चुनाव लड़ा था, लेकिन हार का नसिब हुई थी।

छिंदवाड़ा विधानसभा सीट

मध्य प्रदेश के पूर्व सीएम और नौ बार सांसद रहे कांग्रेस के कमलनाथ ने दिसंबर 2018 में सीएम बनने के बाद मई 2019 में यहां हुए उपचुनाव में पहली बार जीत दर्ज की थी। यह सीट कमलनाथ के गृह क्षेत्र में आती है। इससे पहले 2013 में बीजेपी इस सीट से जीती थी। जबकि, 2008 में कांग्रेस ने इस पर कब्जा जमाया था।

दिमनी छिंदवाड़ा विधानसभा सीट

मुरैना जिले के तहत आने वाली इस सीट का इस बार इसलिए ज्यादा महत्व है क्योंकि बीजेपी ने यहां से केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को उम्मीदवार बनाया है। तोमर का नाम सीएम की रेस में भी चल रहा है। 2018 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के गिर्राज दंडोतिया ने यहां से जीत हासिल की थी, जो बाद में बीजेपी में चले गए थे। 2020 में यहां उपचुनाव हुआ, जिसमें कांग्रेस के रविंद्र सिंह तोमर भिडौसा ने जीत दर्ज की।

नरसिंहपुर छिंदवाड़ा विधानसभा सीट

बीजेपी ने इस बार इस सीट पर केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद सिंह पटेल को अपना उम्मीदवार बनाया है। नरसिंहपुर जिले के तहत आने वाली इस सीट से अभी बीजेपी के जालम सिंह पटेल विधायक थे। जालम सिंह प्रह्लाद सिंह पटेल के छोटे भाई हैं। जालम सिंह यहां से 2013 और 2018 में चुनाव जीत रहे थे।

इंदौर-1 विधानसभा सीट

इंदौर-1 शायद इस बार सबसे चर्चित सीटों में से एक है। बीजेपी ने यहां राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय को उतारा है। मौजूदा समय में कांग्रेस के संजय शुक्ला यहां से विधायक हैं। इनसे पहले 2008 और 2013 के चुनाव में इस सीट पर बीजेपी ने जीत दर्ज की थी।

दतिया विधानसभा सीट

शिवराज सिंह की सरकार में दूसरे सबसे बड़े चेहरे और गृह मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा यहीं से विधायक हैं। वह 2008 से इस सीट पर जीत रहे हैं। कांग्रेस को एक बार भी यहां जीत नसीब नहीं हुई है। डॉ. नरोत्तम मिश्रा का नाम भी सीएम उम्मीदवार की रेस में भी चल रहा है। दतिया विधानसभा सीट भिंड के अंतर्गत आती है। पिछली बार यहां से मिश्रा ने कांग्रेस प्रत्याशी राजेंद्र भारती को 2,656 मतों के अंतर से हराया था। इस बार भी यहां मुकाबला दोनों के बीच है।

लहार विधानसभा सीट

इस सीट पर कांग्रेस की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता डॉ. गोविंद सिंह इस सीट पर 1990 से जीत रहे हैं। इन्हें दिग्विजय सिंह का खास बताया जाता है। लहार विधानसभा सीट से साल 2018 में बीजेपी की तरफ से रसाल सिंह ने चुनाव लड़ था। जिन्हें हार का सामना करना पड़ा था। लहार विधानसभा क्षेत्र कांग्रेस का गढ़ माना जाता है। BJP अभी तक यहां सेंध नहीं लगा पाई है। वहीं, BJP ने यहां से अमरीश शर्मा उर्फ गुड्डू को अपना प्रत्याशी बनाया है।

राघोगढ़ विधानसभा सीट

गुना जिले में आने वाली इस सीट से कांग्रेस का भविष्य जुड़ा हुआ है। दरअसल, पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के बेटे और कांग्रेस के पूर्व मंत्री जयवर्धन सिंह यहां से विधायक हैं। जयवर्धन सिंह ने 2018 का चुनाव 46,600 से अधिक मतों से जीता था। उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के भूपेंद्र रघुवंशी को 47 वोटों के मार्जिन से हराया था। राघोगढ़ को कांग्रेस का गढ़ माना जाता है। BJP एक भी बार यहां जीत हासिल नहीं कर पाई है। हालांकि, इस बार भाजपा ने यहां से हिरेंद्र सिंह बंटी पर दांव खेला है।

शिवपुरी विधानसभा सीट

शिवपुरी ग्वालियर के पूर्व शाही परिवार के सदस्यों की पारंपरिक सीट है। अभी तक इस सीट से बीजेपी की युवा कल्याण और तकनीकी शिक्षा मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया विधायक थीं। इस चुनाव में उन्होंने न लड़ने का मन बनाया है। ऐसे में भाजपा ने यहां से देवेंद्र जैन को टिकट दिया है। वहीं, कांग्रेस की तरफ से केपी सिंह यहां से चुनाव लड़ेंगे। पहले इस सीट पर ज्योतिरादित्य सिंधिया के चुनाव लड़ने की अटकलें लगाई जा रही थीं, लेकिन उनके नाम का ऐलान नहीं हुआ।

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