MP News: एमपी चुनाव 2023 (MP Election 2023)से पहले शिवराज सरकार इस वित्तवर्ष में दूसरी बार कर्ज उठा रही है। इस बार सरकार ने रिजर्व बैंक से 4 हजार करोड़ का कर्ज उठा रही है। जिसके लिए शिवराज सरकार ने तय किया है कि वह यह कर्ज अपनी गवर्नमेंट सिक्योरिटीज को बेचकर बाजार से 4 हजार करोड़ के कर्ज का बंदोबस्त करेगी। जिसे 11 साल की अवधि के लिए लिया जाएगा। बता दें इस वित्त वर्ष में पिछले ही महीने 30 मई 2023 को 2 हजार करोड़ का एक कर्ज सरकार उठा चुकी है। इस तरह मध्य प्रदेश पर कुल 3.25 लाख करोड़ का कर्ज हो चुका है।
पिछले महीने भी उठाया सरकार ने कर्ज
बता दें पिछले महीने 30 मई 2023 को भी शिवराज सरकार ने 2 हजार करोड़ रुपए का कर्ज अगले 10 साल की अवधि के लिए उठाया था। उस समय ने कर्ज लेने की जरुरत का उल्लेख करते हुए रिजर्व बैंक को बताया था कि एमपी सरकार अधूरी पड़ी परियोजनाओं को पूरा करने तथा लोक कल्याणकारी योजनाओं का संचालन सुचारु रूप से बनाए रखने के लिए इस कर्ज की जरूरत महसूस कर रही है।
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आखिर क्यों बार-बार पड़ रही कर्ज की जरूरत
बता दें प्राप्त आंकड़ों के मुताबिक एमपी की शिवराज सरकार ने पिछले 3 सालों में अपनी आय और खर्च में बहुत नजदीकी अंतर रहा है। साल दर साल आय और व्यय के आंकड़े इस प्रकार हैं। राज्य सरकार वोटरों को लुभाने के लिए कई लोकलुभावन योजनाओं और मुफ्त उपहारों की घोषणा किए जा रही है। वह भी तब जब राज्य पहले से ही 3.5 लाख करोड़ रुपये के भारी कर्ज में डूबा हुआ है। कई आर्थिक विशेषज्ञों का मानना है कि इसी वजह से राज्य में प्रति व्यक्ति औसत कर्ज पिछले 5-6 सालों में बहुत तेजी से बड़ा गया है।
राजस्व आय- इस वित्तवर्ष में राज्य सरकार की कुल राजस्व आमदनी 146376 करोड़ रही।
व्यय- जबकि इसी वित्तवर्ष का कुल सरकारी खर्च 164733 करोड़ रुपए किया गया
अंतर- इस प्रकार वर्ष 2020-21 का कुल अंतर 18356 करोड़ रुपए का घाटा रहा।
प्रति व्यक्ति 41 हजार का कर्जदार है एमपी वासी
बता दें आंकड़ों के मुताबिक मध्यप्रदेश के हर नागरिक पर 41 हजार रुपए का कर्ज हो चुका है। यदि मार्च 2015-16 के आंकड़ों की बात की जाए तब हर व्यक्ति पर 13853 रुपये का कर्ज था । जब कि उससे पहले 2013-14 में 10896 रुपए एक औसत एमपी वासी कर्जदार था । एक्सपर्ट की मानें तो एमपी आर्थिक संकट के दलदल की तरफ बढ़ रहा है। इसी बात से समझा जा सकता है कि वर्ष 2022-23 में जहां राज्य ने कुल 2.79 लाख करोड़ रुपए का बजट पेश किया था। जबकि राज्य 3.31 लाख करोड़ रुपए के कुल कर्ज में था।
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