MPPSC Exam 2019: MPPSC परीक्षा 2019 का मामला अब हाईकोर्ट से सुप्रीम कोर्ट में पहुंच गया है। आरक्षित वर्ग के मरिटोरियस अभ्यर्थियों के लिए विशेष परीक्षा कराने के हाईकोर्ट के फैसले का लगातार विरोध किया जा रहा था। जिसको सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी। जिसके बाद कोर्ट ने एक बड़ा फैसला सुनाते हुए कहा है कि MPPSC परीक्षा 2019 की पूरी विशेष परीक्षा प्रक्रिया याचिका पर आखिरी फैसले के अधीन कर दी गई है। इसके साथ ही सामान्य प्रशासन विभाग के प्रमुख सचिव और MPPSC के सचिव से 15 दिन के अंदर इस पर जवाब दाखिल करने को कहा गया है। साथ ही अगली सुनवाई को 28 अप्रैल 2023 को तय की है।
जानें क्या है पूरा मामला
बता दें एमपी हाईकोर्ट ने ओबीसी तथा एससी/एसटी आरक्षित वर्ग के 2700 छात्रों की MPPSC एग्जाम 2019 के लिए अलग से एक मेरिटोरियस अभ्यर्थियों की विशेष परीक्षा कराने के आदेश दिए थे। जिसके खिलाफ ओबीसी एडवोकेट वेलफेयर एशोसिएशन और कुछ छात्रों ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की थी। जिसमें ये दलील दी गई थी कि हाईकोर्ट द्वारा पारित आदेश संविधान के अनुच्छेद-14 के पूरी तरह विरुद्ध है। एक ही चयन में दो अलग-अलग परीक्षाएं नहीं ली जा सकतीं।
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जानें हाईकोर्ट ने क्या आदेश दिया था
हाईकोर्ट के आदेशानुसार आरक्षित वर्ग के छात्रों की विशेष परीक्षा आयोजित कर तुरंत नॉर्मलाइजेशन कर साक्षात्कार कराए जाएं। साक्षात्कार की यह प्रक्रिया 6 महीने में संपन्न हो जानी चाहिए।
आवेदकों का है ये कहना
यदि आरक्षित वर्ग के छात्रों की अलग से कोई विशेष परीक्षा कराई जाती है। तो फिर उत्तर पुस्तिकाओँ को जांचने वाला पूर्वाग्रह से ग्रसित होकर कॉपियों का मूल्यांकन कर सकता है। इससे आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों के साथ अन्याय हो सकता है। एमपी राज्य परीक्षा सेवा नियम2015 में किसी भी नियम में विशेष परीक्षा कराने का प्रावधान नहीं है। न ही नियमों में नॉर्मलाइजेशन से संबंधित कोई प्रावधान कहीं है। विशेष परीक्षा कराने का फैसला सुनाना ही संविधान की मूल भावना के विरुद्ध है। कोर्ट ने आवेदकों के इन तर्कों को सही माना।
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