Home एजुकेशन & करिअर Mahatma Phule Jayanti 2023: पत्नी को पढ़ाकर टीचर बनाया, मरते हुए भी...

Mahatma Phule Jayanti 2023: पत्नी को पढ़ाकर टीचर बनाया, मरते हुए भी जातिवाद का भांडा फोड़ गए…ऐसे थे ज्योतिबा फुले

0

Mahatma Phule Jayanti 2023:  ज्योतिबा राव फुले हमेशा से गरीबों मजदूरों और महिलाओं के हक के लिए लड़ते आवाज बुलंद करते थे। ऐसे महान समाज सुधारक ज्योतिबा राव फुले के बारे में हम सभी बचपन से पढ़ते आ रहे हैं। उसने जुड़ी हुई कई दिलचस्प बातें हैं। आज उनके जन्म जन्म जयंती के अवसर पर आइए उनसे जुड़ी कुछ रोचक चीजों के बारे में जानते हैं।

नाम को लेकर ये है रोचक कहानी

ज्योतिबा राव फुले का जन्म 11 अप्रैल को पुणे में हुआ था। यहां पर ही उनका परिवार जीविका चलाने के लिए माली का काम करता था। उनके नाम के पीछे फूले लगाने की भी दिलचस्प कहानी है । बताया जाता है कि उनके परिवार में फूलों का बिजनेस होने के कारण उन्होंने अपने नाम के आगे फूले लगा लिया था। वहीं कुछ लोग उन्हें ज्योतिबा फुले के नाम से भी जानते हैं। वहीं महात्मा की उपाधि उन्हें साल 1888 में राव बहादुर विट्ठलराव कृष्णाजी वान्देकर ने दिया था। ज्योतिबा फूले ने अपनी पूरी जिंदगी पिछड़े वर्ग और महिलाओं के हक के लिए कुर्बान कर दी थी।

इसे भी पढ़ेंःBomb attack on TMC office: बंगाल में TMC दफ्तर पर बम से हमला और फायरिंग! इस संगठन को ठहराया जिम्मेदार

आदर्श महापुरुषों में होती है गिनती

ज्योतिबा फुले की गिनती भारत के प्रमुख महापुरुषों में की जाती हैं। भारत के लोग उन्हें लेखक, क्रांतिकारी, विचारक, इत्यादि चीजों से जानते हैं। क्रांतिकारी ज्योतिबा फुले ने 1873 में सत्य शोधक समाज नाम की एक संस्था की स्थापना की थी। इनके बारे में कहा जाता है कि बाबा साहब अम्बेडकर भी इनके विचारों से खूब प्रभावित थे। ज्योतिबा फुले जातिवाद के भी खिलाफ थे उन्होंने इसको लेकर आंदोलन भी किया था। देश में उस समय फैली छुआ – छूत जैसी चीजों को भी उन्होंने खत्म करने के लिए आंदोलन छेड़ा था।

शिक्षा को दिया था बढ़ावा

ज्योतिबा फुले ने शिक्षा पर विशेष ध्यान देने के लिए कहा था। उनका हमेशा से यही कहना था कि किसी भी समाज का सुधार शिक्षा से ही किया जा सकता है। साल 1848 में उन्होंने देश का पहला बालिका विद्यालय खोला था। स्कूल खुलने के बाद इसमें कोई शिक्षिका नहीं थी ऐसे उन्होंने अपनी पत्नी सावित्री बाई को स्वयं पढ़कर शिक्षक बना दिया । इसके बाद इस स्कूल में सावित्री खुद जाकर पढ़ाने लगी।

इसे भी पढ़ेंःRahul Gandhi के ट्वीट से भड़के CM Himanta, बोले- ‘पीएम मोदी के दौरे के बाद मानहानि का केस

Exit mobile version