Meerut News: एशियन गेम्स में भारत का खाता खोलने वाली गोला फेंक एथलीट किरण बालियान के सफलता की कहानी दिलचस्प है। मेरठ की इस बेटी ने समाज व परिवार से लड़ते हुए इस मुकाम को हासिल कर देश का नाम ऊंचा किया है। आज जब मेरठ की इस बेटी ने चीन में भारत का परचम लहराया है तो इसके मोदीपुरम स्थित एकता नगर वाले आवास पर बधाई देने वालों का तांता पहुंच रहा है। ऐसे में आइये हम आपको किरण बालियान के इस कामयाबी के पिछे की कहानी बताते हैं।
समाज के खिलाफ लड़कर रचा इतिहास
आज जब किरण बालियान चीन के हांगझाऊ में चल रहे एशियन गेम्स में भारत की ओर से सफलता का इतिहास लिख रही हैं तो इसके पीछे की उनकी कहानी और दिलचस्प हो जाती है। उनकी मां बॉबी का कहना है कि किरन ने ये लड़ाई परिवार और समाज के लोगों के खिलाफ जाकर जीती है। वो बताती है कि समाज के लोग शुरु से ही किरण के खेल के खिलाफ थे। हर वक्त किरण के मां-बाप को ये सुनना पड़ता था कि बेटी को इन खेल-वेल के पचड़ों में ना डालो। हालाकि इन सब के बावजूद किरण के अभिवावकों ने उनके जज्बे को देखते हुए उन्हें खेलने दिया और परिणाम स्वरुप बिटीया ने मां-बाप के साथ पूरे देश का नाम रोशन किया है। किरण के इस कामयाबी से उनकी माता-पिता के साथ उनका पूरा परिवार बेहद खुश है।
आर्थिक रुप से भी कमजोर रहा था परिवार
आज जब किरण ने कांस्य पदक जीत लिया है तो उनकी चर्चा चारों तरफ है। पर आपको बता दें कि किरण ने अपना जीवन अभावों में भी काटा है। उनकी मां कहती हैं कि हमारी आर्थिक हालत अच्छी नहीं थी लेकिन फिर भी हमने अपनी बेटी के सपनों को पूरा करने के लिए भरपूर कोशिश की। कई तरह की दिक्कतों का सामना भी किया पर हार नहीं माने। उन्होंने इस दौरान ये भी बताया कि असुरक्षा के माहौल को देखते हुए मैं खुद बेटी के साथ स्टेडियम जाती थी और साथ ही जरुरत पड़ने पर उसे खुद ही स्ट्रेचिंग करवाती थी। ऐसे में बेटी की इस सफलता में मां का योगदान भी खूब रहा है। इस क्रम में मां की इच्छा है कि उनकी बिटिया गोल्ड भी जीते और देश के साथ परिवार का नाम भी रोशन करे।
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