Nehru Memorial: केंद्र की मोदी सरकार के एक फैसले ने फिर BJP-कांग्रेस के बीच विवाद खड़ा कर दिया है। BJP का ये फैसला एक म्यूजियम के नाम बदलने को लेकर है। दरअसल, केंद्र सरकार ने दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू मेमोरियल का नाम बदल दिया है। केंद्र सरकार ने मेमोरियल के नाम से जवाहरलाल नेहरू हटा दिया है। अब इसे प्रधानमंत्री म्यूजियम या PM मेमोरियल (Prime Ministers Museum) के नाम से जाना जाएगा।
दूसरों का इतिहास मिटा रही BJP
सरकार के इस फैसले का कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने विरोध किया है। उन्होंने ट्वीट कर लिखा, “जिनका कोई इतिहास ही नहीं है, वो दूसरों के इतिहास को मिटाने चले हैं ! Nehru Memorial Museum & Library का नाम बदलने के कुत्सित प्रयास से, आधुनिक भारत के शिल्पकार व लोकतंत्र के निर्भीक प्रहरी, पंडित जवाहरलाल नेहरू जी की शख़्सियत को कम नहीं किया जा सकता। इससे केवल BJP-RSS की ओछी मानसिकता और तानाशाही रवैये का परिचय मिलता है। मोदी सरकार की बौनी सोच, ‘हिन्द के जवाहर’ का भारत के प्रति विशालकाय योगदान कम नहीं कर सकती !”
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‘इमारतों का नाम बदलने से विरासत नहीं मिटती’
कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने भी नेहरू मेमोरियल म्यूजियम एंड लाइब्रेरी (NMML) का नाम बदलने पर केंद्र पर हमला बोला है। उन्होंने कहा कि जो लोग स्वतंत्रता संग्राम और आधुनिक भारत के निर्माण में नेहरू के योगदान को खत्म करना चाहते हैं, उन्हें नेहरू की सोच को समझने के लिए डिस्कवरी ऑफ इंडिया और विश्व इतिहास की झलक किताब पढ़नी चाहिए। मनीष ने कहा कि इमारतों का नाम बदलने से विरासत नहीं मिटती।
BJP अध्यक्ष जेपी नड्डा ने किया पलटवार
सरकार के फैसले का विरोध कर रहे कांग्रेस नेताओं के बयानों पर BJP अध्यक्ष जेपी नड्डा ने पलटवार किया है। उन्होंने ट्वीट कर लिखा, ”राजनीतिक अपच का क्लासिक उदाहरण एक साधारण तथ्य को स्वीकार करने की असमर्थता है कि एक वंश से परे भी ऐसा नेता हैं, जिन्होंने हमारे राष्ट्र की सेवा और उसका निर्माण किया है।” जेपी नड्डा ने आगे लिखा, ”प्रधानमंत्री संग्रहालय राजनीति से परे एक प्रयास है और कांग्रेस के पास इसका अहसास करने के लिए दृष्टि की कमी है।”
एक साल पहले हुआ था उद्घाटन
बता दें कि एक साल पहले ही इस मेमोरियल का उद्घाटन हुआ था। जब पूर्व PM जवाहरलाल नेहरू के आधिकारिक निवास तीन मूर्ति परिसर को म्यूजियम में तबदील कर दिया गया था। उस समय खुद PM मोदी इसका उद्घाटन करने पहुंचे थे। अब पूरे एक साल बाद सरकार ने इसका नाम बदल दिया है। विपक्ष यानी कांग्रेस ने सरकार के इस फैसले पर कड़ा एतराज जताया है और तुरंत इस फैसले को वापस लेने की मांग उठाई है।
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