Mohan Bhagwat: भारत के एक सांस्कृतिक संगठन, हिन्दू राष्ट्रवादी, अर्धसैनिक व स्वयंसेवक संगठन को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के नाम से जाना जाता है। इसका मुख्यालय नागपुर में है जहां से देश की तमाम गतिविधियों पर समय-समय पर टिप्पणी आती रहती है। ताजा जानकारी के अनुसार आरएसएस चीफ या सरसंघचालक मोहन भागवत ने भारत के विभिन्न हिस्सों में चुनावी बयानबाजी, विपक्ष की स्थिति व मणिपुर जैसे कई मुद्दों पर अपनी प्रतिक्रिया दी है।
मोहन भागवत ने केन्द्र की नई राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार (NDA Govt) से भी मांग की है कि पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर में शांति लाने की जरूरत पर जोर दिया जाए। इसके अलावा उन्होंने ये भी स्पष्ट किया है कि चुनाव सहमति बनाने की प्रक्रिया है और यहां एक-दूसरे को लताड़ना, तकनीक का दुरुपयोग व असत्य प्रसारित करना ठीक नहीं है। आरएसएस चीफ की मानें तो राजनीति में विरोधी को प्रतिपक्ष कहना उचित होगा।
RSS चीफ का सख्त रुख
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) चीफ मोहन भागवत ने, केन्द्र में नई राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) सरकार के गठन के बाद, नागपुर में राष्ट्रीय स्तर के कैडर प्रशिक्षण शिविर में कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए अपना मत स्पष्ट किया। आरएसएस चीफ ने कहा कि “चुनाव प्रचार में जिस तरह से एक-दूसरे को लताड़ने, तकनीक का दुरुपयोग व असत्य प्रसारित करने की प्रक्रिया है यो कहीं से भी ठीक नहीं है। चुनावी दौर में विरोधी को प्रतिपक्ष की संज्ञा देनी चाहिए।”
मोहन भागवत ने केन्द्र में गठित नई सरकार से ये भी मांग की है कि “चुनाव के आवेश से मुक्त होकर अब देश के सामने उपस्थित समस्याओं पर विचार करना होगा।”
चुनाव को लेकर RSS चीफ का मत
मोहन भागवत ने नागपुर में ही संघ के एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि “चुनाव लोकतंत्र में प्रति पांच वर्ष में होने वाली घटना है। इस दौरान हम लोकमत परिष्कार कर अपना कर्तव्य करते रहते हैं।
संघ प्रमुख ने ये भी कहा कि हमने इस बार भी चुनावी प्रक्रिया में लोकमत का परिष्कार किया है।
NDA सरकार से मांग
RSS चीफ मोहन भागवत ने इशारो-इशारो में ही केन्द्र की नई राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) सरकार से अहम मांग कर दी है।
RSS प्रमुख ने देश के उत्तर पूर्वी राज्य मणिपुर में उपजी हिंसा को लेकर कहा कि “विगत एक वर्ष से मणिपुर शांति की राह देख रहा है। इससे पहले 10 वर्षों तक यह शांत रहा और यहां पुराना गन कल्चर समाप्त हो गया था। हालाकि अचानक जो कलह वहां पर उपजा या उपजाया गया, उसकी आग में मणिपुर अभी तक जल कर त्राहि-त्राहि कर रहा है। ऐसे में इस पर प्राथमिकता देकर व विचार कर ध्यान देने की जरुरत है।