Mother Milk Bank: मां का दूध बच्चों के लिए जीवनदायी और स्वास्थदायी होता है। स्तनपान कराने वाली माताएं भी स्वयं निरोगी और ब्रेस्ट कैंसर जैसी बीमारी से दूर रह सकती हैं। मां के दूध की महत्ता को देखते हुए उत्तर प्रदेश के आगरा में पहली मदर मिल्क बैंक की स्थापना की गई है।
नवजात को मिल सकेगा मां का दूध
बता दें कि यह स्थापना चंद्रभान साबुन वाले सेवा ट्रस्ट की तरफ से की गई है। मिली जानकारी के अनुसार सोमवार को खतैना रोड, जयपुर हाउस स्थित ट्रस्ट के निर्माणधीन गर्भधान संस्कार एवं मेटरनिटी होम पर मदर मिल्क बैंक उद्घोषणा समारोह किया गया।
इस बैंक को खोलने का मुख्य उद्देश्य है कि हर एक नवजात को मां का दूध मिल सके, जो प्रतिरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है, बता दें कि उत्तर प्रदेश का पहला ‘मदर्स मिल्क बैंक’ मंगलवार को आगरा में खोला गया है। इस बैंक की मदद से स्तनपान कराने में असमर्थ जरूरतमंद माताओं को मानव दूध इकट्ठा करेगी, स्क्रीनिंग करेगी, पास्चुरीकृत करेगी और वितरित करेगी। जिससे उनके बच्चों को स्वस्थ होने में मदद मिलेगी और उन्हें संक्रमण से बचाया जा सकेगा।
बता दें कि आगरा में वरिष्ठ स्वास्थ्य अधिकारियों ने स्तनपान कराने वाली माताओं से अपने बच्चों को स्तनपान कराने के अलावा, बैंक को स्तन का दूध दान करने का आह्वान किया। अधिकारियों ने कहा कि लैक्टेरियम मां के दूध से वंचित बच्चों को जीवनदान प्रदान करेगा।
इस तरह मिल्क को कर सकते हैं बैंक में जमा
मिली जानकारी के अनुसार कोई भी स्तनपान कराने वाली मां अपने बच्चे को दूध पिलाने के बाद बचा हुआ दूध मदर मिल्क बैंक में जमा कर सकती है। दानकर्ता दूध को स्टेनलेस स्टील के कंटेनर में भरकर रेफ्रिजरेटर में रख सकते हैं। फिर, इसे बैंक में लाने के लिए सूखी बर्फ वाले ठंडे बैग में ले जाया जा सकता है। बैंक में दूध की जांच की जाएगी ताकि यह पता लगाया जा सके कि दूध देने वाली मां किसी तरह की बीमारी से पीड़ित है या नहीं। परीक्षण के बाद दूध को वितरण के लिए मंजूरी दे दी जाएगी।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. अरुण श्रीवास्तव ने कहा कि मिल्क बैंक का खुलना बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता और स्वस्थ पालन-पोषण सुनिश्चित करने की दिशा में एक “महत्वपूर्ण उपलब्धि” है। भारत में मानव दूध बैंकों की स्थापना में शामिल रहे वरिष्ठ सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ दीपक जे दावे ने कहा कि फ्रीजर में माइनस 20 डिग्री तापमान पर रखने पर मां के दूध को सुरक्षित रूप से संग्रहित किया जा सकता है और एक साल तक इस्तेमाल किया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि समाज के ऊपरी तबके की महिलाएं निम्न-आय वर्ग के लोगों की तुलना में स्तन का दूध दान करने में अनिच्छुक रहती हैं। स्तन दूध बैंकों को स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली के एक महत्वपूर्ण हिस्से के रूप में देखा जाता है, और वे शिशुओं और परिवारों के स्वास्थ्य और कल्याण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
देश और दुनिया की तमाम खबरों के लिए हमारा YouTube Channel ‘DNP INDIA’ को अभी subscribe करें। आप हमें FACEBOOK, INSTAGRAM और TWITTER पर भी फॉलो कर सकते हैं।