MP News: मध्य प्रदेश से आने वाले भाजपा के कद्दावर नेता कैलाश विजयवर्गीय बीते दिनों अपने बयानों को लेकर खूब सुर्खियों में थे। अब इसको लेकर उन्होंने अपनी सफाई देते हुए कहा है कि उन्होंने खुद को कभी भी बड़ा नेता नहीं माना है। दरअसल बड़ा नेता से उनका आशय उम्रदराज नेता होने का था। उन्होंने इस दौरान ये भी कहा कि मेरे उस बयान को तोड़कर पेश किया गया और ये विपक्षियों की सोची समझी साजिश थी।
वहीं डिमोशन वाले सवाल पर विजयवर्गीय ने कहा कि पार्टी को जिसकी जहां भी जरुरत होती है उसे वहां भेजा जाता है। ऐसे में इसे डिमोशन कहना जायज नहीं होगा। अगर पार्टी ने कह दिया कि दरी बिछाना है, तो हम बिछा देंगे।
टिकट मिलने से नाखुश नजर आए थे विजयवर्गीय
बता दें कि भाजपा ने मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव के लिए प्रत्याशियों की दूसरी लिस्ट जारी कर सबको चौंका दिया था। इसमें भारत सरकार के तीन कैबिनेट मंत्री के साथ महासचिव व सांसदों को भी विधानसभा लड़ने के लिए प्रत्याशी बनाया गया। इस दौरान विजयवर्गीय ने कहा था कि मेरी चुनाव लड़ने की इच्छा नहीं थी और मुझे तो अब भी भरोसा नहीं है कि पार्टी ने मुझे टिकट दिया है। उन्होंने ये भी कहा था कि मैं केवल जनसभाओं में शामिल होने की योजनाएं बना रहा था। सोच रहा था कि आएंगे और भाषण देकर निकल जाएंगे। लेकिन अब जो भगवान की इच्छा होगी वही तो होगा। विजयवर्गीय के इस बयान को लेकर सूबे में खूब चर्चा देखने को मिली।
अपने बयान को लेकर विजयवर्गीय ने दी सफाई
बता दें कि आज मीडिया से बात करते हुए कैलाश विजयवर्गीय ने अपने इस बयान को लेकर सफाई दी है। उन्होंने कहा है कि उनके बयान को तोड़कर पेश किया गया। उनका बड़ा नेता कहने का मतलब उम्रदराज नेता से था। वहीं पार्टी द्वारा डिमोशन के दावे को लेकर उन्होंने कहा है कि यह डिमोशन नहीं है। पार्टी अपने जरुरत के हिसाब से कार्यकर्ताओं को भेजती है। ऐसे में लोगों का ये कहना कि मेरा डिमोशन हुआ है कहीं से भी उचित नहीं है। हम कार्यकर्ता हैं और अगर पार्टी ने कहा कि दरी बिछाना है, तो हम दरी बिछाने का काम भी करेंगे।
अब देखना दिलचस्प होगा कि कैलाश विजयवर्गीय के इस बयान को लेकर मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव पर इसका क्या असर पड़ता है।
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