Nashik Farmers March: महाराष्ट्र के नासिक जिले के डिंडोरी से हजारों की संख्या में किसानों ने पैदल ही मुंबई का रुख कर दिया है। करीब 10 हजार की संख्या में किसानों ने नासिक से मुंबई 203 किमी की दूरी तय कर आजाद मैदान में प्रदर्शन करने जा रहे हैं। किसानों का कहना है कि सरकार ने कई बार उनकी तीन मांगों पर सिर्फ आश्वासन दिया है। ये किसान प्याज पर MSP, कर्जमाफी और आदिवासियों को जमीनों पर अधिकार को लेकर पैदल मार्च निकालने को विवश हो चुके हैं।
जानें कौन हैं शामिल इस मार्च में
आदिवासी बहुल नासिक जिले के डिंडोरी, कलवन तथा बागलान के आदिवासी मजदूरों किसानों को लेकर भारतीय कम्यूनिस्ट पार्टी और अखिल भारतीय किसान सभा इस मार्च की अगुवाई कर रही है. जिसमें लेफ्ट पार्टी के जे पी गावित,अजीत नेवले जैसे नेता भी किसान नेताओं के साथ इस मार्च में शामिल हैं।
जानें क्या चाहते हैं किसान
डिंडोरी से मुंबई के लिए पैदल ही निकले किसान रोजाना लगभग 25 किमीं की यात्रा तय करते हैं। इस दौरान हजारों की संख्या में किसानों का मार्च सरकार को जगाने के लिए अपनी मांगों के नारे लगाता चल रहा है। किसान 20 मार्च को मुंबई में एक सभा करेंगे। जब उनसे पूछा गया कि आखिर उन्हें ये मार्च निकालने की जरुरत क्यों पड़ गई तो उन्होंने कहा कि एक लंबे समय से जिला प्रशासन से हम अपनी मांगों को लेकर बात कर रहे हैं। लेकिन हर बार सिर्फ आश्वासन मिलता है। अब किसान नेता मुंबई पहुंचकर सीधे सरकार से अपनी मांगों को लेकर घोषणा करने को दबाव बनाएंगे।
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आखिर क्यों आई पैदल मार्च की नौबत
नासिक को एशिया का सबसे बड़ा बाजार माना जाता है। आपको बता दें जब पूरे देश में इस समय प्याज खुदरा कीमतों में 15- 25 रुपए प्रति किलो बिक रहा है। जब कि नासिक की इस मंडी में किसानों को अपना प्याज 2-4 रुपए प्रति किलो में बेचना पड़ रहा है। जब कि पिछले साल किसान इसी दौरान 20 रु.प्रति किलो में बेच रहे थे। सोलापुर के एक किसान के 512 किलो प्याज को मंडी ने सिर्फ 1 रुपए प्रति किलो के हिसाब से खरीदा गया, जबकि वह 70 किमी दूर से प्याज लेकर मंडी पहुंचा था। किसान को अपनी प्याज के सिर्फ 512 रुपए मिले और जब उसने अपना भाड़ा हटाया, तो व्यापारी ने उस किसान को क्वालिटी खराब बताकर मात्र 2 रुपए का चेक थमा दिया। इसी अन्याय को लेकर किसानों ने सरकार से किसानों को ऋण माफी देने तथा साथ में खेती जमीनों पर आदिवासियों को अधिकार देने की मांग कर रहे हैं ताकि उनकी लागत में कमी आ सके।
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