New Criminal Laws: देश में 1 जुलाई 2024 यानी आज के दिन से न्यायिक प्रणाली नियम-कानून की धाराओं के मामले में पूरी तरह से बदली नजर आएगी। दरअसल आज से ही भारतीय न्याय संहिता (BNS), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम को लागू कर दिया गया है। ये तीनों नए कानून अधिनियम ब्रिटिश काल के भारतीय दंड संहिता (IPC), दंड प्रक्रिया संहिता (CRPC) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह लेंगे।
3 नए आपराधिक कानून (New Criminal Laws) लागू होने के बाद कानून की धाराएं भी बदल गई हैं। अब हत्या के दोषी को IPC के 302 की बजाय भारतीय न्याय संहिता की धारा 101, धोखाधड़ी पर 420 के बजाय धारा 318 व दुष्कर्म जैसे जघन्य अपराध के लिए 375 की बजाय धारा 63 के तहत कानूनी कार्रवाई की जा सकेगी। ऐसे में आइए हम आपको नए आपराधिक कानून लागू होने पर विशेषज्ञों की राय के बारे में बताते हैं।
कानूनी विशेषज्ञों का पक्ष
भारत में आज से लागू हो रहे 3 नए आपराधिक कानून व बदले नियम-कानून प्रणाली को लेकर सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता विकास पहवा ने अपना पक्ष रखा है।
अधिवक्ता विकास का कहना है कि “इसमें कई सकारात्मक चीजें हैं जिनमें प्रक्रियाओं के लिए समय सीमा तय करना और प्रौद्योगिकी का परिचय और उपयोग शामिल है। जब समय पर परीक्षण होंगे, तो यह इससे समय पर दोषमुक्ति होगी और दोषसिद्धि से त्वरित न्याय मिलेगा। यह एक स्वागतयोग्य बदलाव होगा। कानून में समग्र प्रक्रियात्मक बदलाव से सिस्टम को लाभ होगा।”
तीन नए आपराधिक कानून लागू होने के बाद सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता सखराम सिंह यादव ने भी अपनी राय रखी है।
अधिवक्ता सखराम सिंह यादव का कहना है कि “भारतीय दंड संहिता को अब भारतीय न्याय संहिता नाम दिया गया है, यह अब न्याय की सेवा के बारे में है। नए कानूनों में, शून्य FIR पेश की गई है और इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य को प्राथमिकता दी गई है। ये ऐसे कानून होंगे जो जनता को सीधे-सीधे लाभ पहुंचाएंगे।”
नए आपराधिक कानून लागू होने पर सर्वोच्च न्यायालय की वरिष्ठ वकील गीता लूथरा ने भी अपना पक्ष रखा है।
अधिवक्ता गीता लूथरा कहती हैं कि “सुप्रीम कोर्ट के कई फैसलों का सारांश इन नए कानूनों में डाल दिया गया है। ऐसी आलोचना हुई थी कि हमारे सिस्टम में देरी हो रही है और इसलिए इसे सुलझाने के लिए एक उपाय की जरूरत थी। उन्होंने कहा है कि अब 30 दिन के अंदर फैसला आना चाहिए।”
पूर्व IPS किरण बेदी का पक्ष
नए आपराधिक कानूनों के लागू होने के बाद प्रशासनिक विभाग संभाल चुकीं, पूर्व IPS किरण बेदी ने भी अपना पक्ष रखा है।
किरण बेदी का कहना है कि “इससे जवाबदेही, पारदर्शिता, प्रौद्योगिकी, पीड़ितों के अधिकारों के लिए पुलिस को फिर से प्रशिक्षण मिल रहा है।” इस बदलाव से अदालतों में त्वरित सुनवाई और अभियुक्तों के अधिकार संरक्षित हो सकेंगे।
नए आपराधिक कानूनों के लागू होने पर पूर्व एडिशनल सॉलिसिटर जनरल (ASG) और वरिष्ठ अधिवक्ता पिंकी आनंद ने भी अपना पक्ष रखा है।
पिंकी आनंद का कहना है कि “तीन नए कानून भारत के लिए ऐतिहासिक होंगे। पुराने कानून अलग-अलग दृष्टिकोण से बनाए गए थे लेकिन वर्तमान स्थिति कुछ अलग मांग करती है। आज, इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य को स्वीकार्यता में ले लिया गया है। इन नए कानूनों के साथ, हम त्वरित न्याय की ओर बढ़ रहे हैं और पीड़ितों को भी पूर्ण अधिकार मिलेंगे। अब पीड़ित को हर चीज के बारे में सूचित किया जाएगा और जीरो FIR की ई-फाइलिंग शुरू हो सकेगी।”