NIA Raid: प्रतिबंधित संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) पर आज सुबह राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने शिकंजा कसा है। समाचार एजेंसी एएनआई के हवाले से आई खबर के मुताबिक आज देश के कई हिस्सों में पीएफआई से जुड़े लोगों के कई ठिकानों पर छापेमारी चल रही है। इसमें महाराष्ट्र, तमिलनाडु, दिल्ली-एनसीआर, राजस्थान और यूपी जैसे राज्य हैं। जानकारी है कि NIA ने दिल्ली में थाना हौज काजी इलाके के बल्लीमारान में छापेमारी की है। वहीं इसके अलावा एनसीआर के साथ राजस्थान के टोंक व मुंबई में हुए 7/11 ट्रेन बम धमाकों के आरोप में बरी किए गए वाहिद शेख के घर पर भी NIA की छापेमारी जारी है।
यूपी, दिल्ली के साथ महाराष्ट्र में छापेमारी
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) आज सुबह-सुबह हरकत में नजर आई। इस दौरान जानकारी दी गई कि देश के अलग-अलग हिस्सों में पीएफआई से जुड़े लोगों के कई ठिकानों पर छापेमारी चल रही है। इसमें यूपी के सीतापुर, लखनऊ, बहराइच और बाराबंकी जैसी जगहों पर छापेमारी होने की सूचना है। खबर है कि एनआईए की टीम के साथ सुरक्षाबल व स्थानिय पुलिस के जवान भी तैनात हैं। वहीं इसके अलावा NIA की टीम ने राजधानी दिल्ली के कुछ हिस्सों में पीएफआई से जुड़े लोगों के ठिकानों पर छापेमारी की है। इसके तहत पुरानी दिल्ली के बल्लीमारान में मुमताज बिल्डिंग में खोज-बीन की प्रक्रिया जारी है।
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने राजस्थान के टोंक में भी कई ठिकानों पर छापेमारी की है। वहीं मुंबई के विकरोली में वाहिद शेख के आवास पर भी NIA की छापेमारी चल रही है। बता दें कि वाहिद शेख विक्रोली इलाके में 7/11 ट्रेन बम धमाकों के आरोप से बरी किए गए हैं। इसके साथ ही NIA तमिलनाडु के मदुरई में पीएफआई से जुड़े कई ठिकानों पर छापेमारी कर रही है।
छापेमारी का कारण
PFI को पिछले वर्ष सरकार ने आतंकवाद विरोधी गैरकानूनी गतिविधियां अधिनियम (UAPA) के तहत बैन किया था। खबर है कि NIA की ये कार्रवाई पीएफआई से जुड़े लोगों के हिंसक और गैरकानूनी गतिविधियों में शामिल होने के आरोप में हो रही है। दरअसल इन पर आरोप है कि पीएफआई से जुडे़ लोग पटना के फुलवारी शरीफ इलाके में हिंसक और गैरकानूनी गतिविधियों के उद्देश्य से जुटे थे। इस मामले को पटना पुलिस ने बाद में NIA को ट्रांसफर कर दिया था।
PFI का परिचय
पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया भारत में एक मुस्लिम राजनीतिक संगठन था जिसे भारत सरकार की ओर से गृह मंत्रालय द्वारा गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत 2022 में प्रतिबंधित कर दिया गया था। इस संगठन का निर्माण हिंदुत्व समूहों से लड़ने के लिए किया गया था। पीएफआई का दावा था कि वो गैर लाभकारी संगठन था। बता दें कि इसे नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट, मनिता नीति पसरई और कर्नाटक फोरम फॉर डिग्निटी जैसे तीन संगठनों को मिलाकर 22 नवंबर 2006 को बनाया गया था।
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